नई दिल्ली। 68 साल बाद आधी रात को एक और आजादी हासिल हुई है। भारत और बांग्लादेश ने शुक्रवार मध्यरात्रि में 162 एनक्लेव की अदला-बदली की। भारत ने इसे ऐतिहासिक दिवस बताया है, उस जटिल मुद्दे का समाधान हुआ जो आजादी के बाद से लंबित पड़ा हुआ था। भारत में बांग्लादेशी एनक्लेव और बांग्लादेश में भारतीय एनक्लेव 31 जुलाई की मध्यरात्रि से एक दूसरे के यहां हस्तांतरित माने जाएंगे।
मध्यरात्रि 162 एनक्लेव की अदला-बदली
विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा, 31 जुलाई भारत और बांग्लादेश दोनों के लिए ऐतिहासिक दिन बन गया है। भारत ने जहां 7110 एकड़ जमीन में फैले 51 एन्क्लेव बांग्लादेश को हस्तांतरित किया, वहीं पड़ोसी देश ने करीब 17160 एकड़ में फैले 111 एन्क्लेवों को भारत को सौंपे। बांग्लादेश और भारत 1974 के एलबीए करार को लागू करेंगे और सितंबर, 2011 के प्रोटोकॉल को अगले 11 महीने में चरणबद्ध तरीके से लागू करेंगे।
ऐतिहासिक भूमि सीमा समझौता
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 6-7 जून 2015 को ढाका दौरे के समय भूमि सीमा समझौते और प्रोटोकॉल को अंतिम रूप दिया गया था। अब भारत और बांग्लादेश के एनक्लेव में रहने वाले लोगों को संबंधित देश की नागरिकता तथा नागरिक को मिलने वाली सभी सुविधाएं मिल सकेंगी। एक अनुमान के मुताबिक बांग्लादेश में भारतीय एनक्लेव में करीब 37,000 लोग रह रहे हैं, वहीं भारत में बांग्लादेशी एनक्लेवों में 14000 लोग रहते हैं। मोदी के ढाका दौरे के बाद इन एनक्लेव में रहने वालों की नागरिकता के विकल्पों की पहचान के लिए लंबी कवायद की गई।
भारत के महापंजीयक, बांग्लादेश सांख्यिकी ब्यूरो और कूच बिहार के जिला मजिस्टेट तथा लामोनिरहाट, पंचगढ़, कुरिग्राम और निलफामरी के उपायुक्तों ने व्यवस्थागत ढंग से और समन्वय के साथ निवासियों से विकल्प लिए। भारत और बांग्लादेश सरकारों के 30 पर्यवेक्षक भी सर्वेक्षण के दौरान उपस्थित थे।
एक संयुक्त सर्वेक्षण के अनुसार भारत में बांग्लादेशी एनक्लेव में रहने वाला कोई नागरिक उस देश में नहीं जाना चाहता। हालांकि अनुमानित 600 लोग भारत आना चाहते हैं।
नवंबर 2015 तक चलेगी प्रक्रिया
केंद्र सरकार ने एलबीए समझौते के क्रियान्वयन के तहत एनक्लेव के हस्तांतरण से प्रभावित लोगों के पुनर्वास के लिए 3048 करोड़ रपये का पैकेज मंजूर किया है। दोनों देशों की सरकारें लोगों को उचित यात्रा दस्तावेजों के माध्यम से उनकी निजी संपत्तियों और सामान के साथ भारत या बांग्लादेश के लिए सुरक्षित यात्रा की सुविधा प्रदान करेंगी। दोनों सरकारें 30 नवंबर, 2015 तक गमन की व्यवस्था करेंगी। भारतीय संसद ने मई महीने में एलबीए को मंजूरी दी थी।