विशाखापत्तनम में गैस लीक के बाद चारों और अफरा-तफरी और घबराहट के बीच भागते हुए मुझे लगा कि अब मैं नहीं बच पाऊंगी। मुझे नहीं पता कि कौन बच पाया और कौन नहीं।
हर कोई इधर-उधर भाग रहा था
विशाखापत्तनम के अस्पताल में इलाज करवा रही इस महिला ने आपबीती सुनाई। उसने कहा कि वहां किसी को कुछ नहीं पता था कि क्या हुआ है। सब बचने के लिए भाग रहे थे। उसने कहा कि वह आज सुबह अपने बच्चों के साथ जैसे ही जगी, उसे सांस लेने में कुछ तकलीफ महसूस हुई। हर तरफ घबराहट थी, लोग भाग रहे थे। कुछ भी पता नहीं चल पा रहा था। यह महिला भी अपने दोनों बच्चों से बिछुड़ गई।
बेहोश होने के बाद खुद को अस्पताल में पाया
महिला के अनुसार, लोग बेहोश होकर गिरने लगे। बाद में उन्होंने खुद को अस्पताल में बिस्तर पर पाया। वह खुद बोल भी नहीं पा रही। कई घंटों के बाद उसे अपने बच्चे वापस मिल पाए। उनका भी इलाज हो रहा है।
प्लांट से लपटें भी दिखाई दीं
एक अन्य व्यक्ति ने कहा कि उसने और उसके परिवार ने न सिर्फ गैस की गंध महसू की, बल्कि लपटें उठते हुए भी देखा। हमें परेशानी होने लगी और उलटी होने लगी। उसके बाद उन्हें नहीं पता कि क्या हुआ। उन्होंने खुद को अस्पताल में पाया।
पांच गांव सबसे ज्यादा प्रभावित
आज तड़के करीब ढाई बजे हुई गैस लीकेज की घटना के बाद आसपास के पांच गांवों में इसका ज्यादा असर हुआ। बड़ी संख्या में लोग सड़कों पर ही बेहोश हो गए। साइरन बजाकर लोगों को सावधान किया गया कि वे सुरक्षित स्थान पर चले जाएं। उन्हें गीले मास्क से मुंह ढंककर बचाव करने की सलाह दी गई।
एनएचआरसी ने नोटिस जारी किया
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने केंद्र और राज्य सरकार को नोटिस जारी करके गैस लीकेज हादसे पर जवाब तलब किया है। नोटिस में कहा गया है कि लोगों के जीवन जीने के अधिकार का उल्लंघन हुआ है। जब पूरी दुनिया कोविड-19 से जूझ रही है और लोग घरों के भीतर रहने को मजबूर हैं, ऐसे में यह हादसा बेहद दर्दनाक है।
नायडू ने विशेषज्ञों की मांग की
उधर, तेलुगु देशम पार्टी के अध्यक्ष और आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने केंद्र सरकार से विशेषज्ञों की टीम भेजने का अनुरोध किया है ताकि मरीजों का बेहतर इलाज संभव हो सके। उन्होंने केंद्र से अस्पतालों में मरीजों का हालचाल जानने के लिए हैदराबाद से विशाखापत्तनम विमान से जाने की अनुमति मांगी है।