यदि भारत बायोटेक द्वारा निर्मित कोवैक्सिन की एक खुराक किसी ऐसे व्यक्ति को दी जाए जो पहले कोरोना संक्रमित हो चुका है तो उसके बॉडी में दो डोज जितनी एंटीबॉडी मिलेगी। यह बात भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के एक अध्ययन में सामने आई है।
यह अध्ययन शनिवार को इंडियन जर्नल ऑफ मेडिकल रिसर्च में प्रकाशित हुआ था। जिसमें कहा गया कि बड़े जनसंख्या के बीच किए गए अध्ययनों में हमारे प्रारंभिक निष्कर्षों की पुष्टि यदि की जाती है, तो पहले सार्स-सीओवी-2 से संक्रमित व्यक्तियों को बीबीवी151 टीके की एक खुराक की सिफारिश की जा सकती है। जिससे अधिक लोग सीमित टीका आपूर्ति का लाभ उठा सकें।
ये भी पढ़ें - तीसरे चरण के ट्रायल में कोवैक्सिन 81% असरदार, कोरोना के नए वैरिएंट्स से लड़ने में भी सक्षम: भारत बायोटेक
भारत की पहली स्वदेशी कोविड-19 वैक्सीन यानी कोवैक्सीन जिसका कोडनेम बीबीवी 152 है। उसकी दो डोज चार से छह हफ्ते के अंतराल के साथ दी जाती है।
ये भी पढ़ें - कोवैक्सिन बनाने में बछड़े के सीरम के इस्तेमाल होने के दावे को केंद्र ने बताया अफवाह, जानिए- क्या है पूरी सच्चाई
सार्स-सीओवी-2 विशिष्ट एंटीबॉडी प्रतिक्रिया को जांचने के लिए स्वास्थ्यकर्मियों के साथ फ्रंटलाइन वर्कर्स के एक समूह में यह अध्ययन किया गया। इनकी एंटीबॉजी प्रतिक्रिया की तुलना उन व्यक्तियों से की गई जिनमें संक्रमण की पुष्टि नहीं हुई थी। अध्ययन में फरवरी से मई 2021 तक चेन्नई में वैक्सीनेशन सेंटर पर कोवैक्सीन लगवाने वाले 114 स्वास्थ्यकर्मियों और अग्रिम पंक्ति के कार्यकर्ताओं से रक्त के नमूने एकत्र किए गए थे।
आईसीएमआर की स्टडी में कहा गया कि कुल मिलाकर सार्स-सीओवी-2 से पहले संक्रमित हुए उन लोगों में एंटीबॉडी की अच्छी प्रतिक्रिया देखने को मिली, जिन्होंने कोवैक्सीन की केवल एक डोज ली थी। उन लोगों की एंटीबॉजी के बराबर थी जिन्होंने दोनों डोज ली थी और उन्हें पहले कभी कोरोना नहीं हुआ था।