आज दिल्ली में देश भर से महिला पत्रकारों की अपनी तरह की पहली कार्यशाला का उद्घाटन महिला एंव बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने किया। देश भर से आईं करीब 250 महिला पत्रकारों को केंद्र सरकार ने अपनी दो साल की उपलब्धियों से वाकिफ कराने और उन्हें इसके प्रचार के लिए ‘सीक्रेट एजेंट’ के तौर पर काम करने के मकसद से बुलाया था। हालांकि इस कार्यशाला में महिला पत्रकारों ने मंत्री मेनका गांधी और केंद्रीय वाणिज्य मंत्री निर्मला सीतारमन को जमीनी सवालों पर घेरने की भी कोशिश की।
कल से दिल्ली में आईं, पंचसितारा होटल अशोक में टिकाई गई महिला पत्रकारों के लिए यह बिलकुल अलहदा किस्म का अनुभव रहा। एक दिन (सात जून) की इस कार्यशाला में पत्रकारिता के विषय-वस्तु पर नहीं बल्कि केंद्र सरकार के प्रचार-प्रसार की सामग्री, प्रेसेंटेशन देखना और दो-दो केंद्रीय मंत्रियों से सरकारी योजनाओं का बखान सुनने का अवसर तमाम महिला पत्रकारों को मिला। दिल्ली आईं तमाम महिला पत्रकारों को क प्रमाणपत्र भी दिया गया, जिसमें बकायदा उनका नाम लिखकर इस बात का संज्ञान किया गया था कि वे इस कार्यशाला में शिरकत करने वालों में शुमार थी। हैदराबाद से आई नव तेलंगाना की मलेसवरी बांदी से जब उनके अनुभव के बारे में पूछा तो उन्होंने मस्त हिंदी में कहा, ‘भजन देने को बुलाए हैं।’ तकरीबन इसी तरह का अनुभव कई महिला पत्रकारों का रहा। हालांकि उन्हें इस बात की खुशी थी कि कम से कम महिला पत्रकारों को एक जगह मिलने का मौका मिला।
निर्मला सीतारमण जब केंद्र सरकार की उपलब्धियों के बारे में अपना प्रसेंटेशन दे रही थीं तब महिला पत्रकारों ने उनसे किसानों और ग्रामीण भारत के खस्ता हाल के बारे में खूब सवाल पूछे। निर्मला सीतारमण में जब अंबेडकर को सम्मान देने के बारे में सरकारी दांवा ठोंका तो साक्षी अखबार की अरुणा अतुलुरी ने दलित छात्र रोहित वेमुला के साथ हुई नाइंसाफी का मुद्दा उठाया तो इसका सीधा जवाब देने से मंत्री कतरा गईं।
एक बात और उल्लेखनीय रही कि केंद्र सरकार की उपलब्धियों का बखान करने के लिए जो प्रेसेंटेशन किया गाय, उसकी सभी स्लाइडों में सिर्फ और सिर्फ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की फोटो जगमग थी। नई-नई पोशाकों में नई योजनाओं और उपलब्धियों के साथ विराजमान प्रधानमंत्री इस तरह से पूर कार्यक्रम में मौजूद रहे। दिन भरे चली इस कार्यशाला में महिला पत्रकारों को केंद्र सरकार की तमाम योजनाओं , महिला विकास से लेकर कौशल विकास के तमाम आकंड़ों के बारे में पर्याप्त जानकारी मिली। अंत में मेनका गांधी ने जो कहा, वह एक तरह से पूरे आयोजन का मकसद उकेरने वाला था, आज लोग अब हमारे सीक्रेट एजेंट के तौर काम करेंगे, अब सीक्रेट नहीं एजेंट के तौर पर। हमें इस तरह से एक दूसरे को जानने का मौका और भी मिलना चाहिए, योजनाओं पर बात होनी चाहिए।
केंद्र सरकार और खासतौर से महिला और बाल विकास मंत्रालय ने सूचना एंव प्रसारण मंत्रालय के साथ मिलकर इस तरह से अपनी सरकार की उपलब्धियों को देश की अलग राज्यों में सक्रिय महिला पत्रकारों तक पहुंचाने का अभिनव प्रयोग किया। अब कितना क्षेत्रीय महिला पत्रकार सरकार के सुर में सुर मिलाएंगी या आज की वर्कशाप की तरह कठिन सवाल उठाएंगी, यह तो समय ही बताएगा। महिला पत्रकारों का सीधे-सीधे पहुंच बनाने का यह दांव तो केंद्र सरकार का कारगर नजर आ रहा है।