हमें शायह उपग्रहों की संख्या अपने पास आज मौजूद उपग्रहों से कम से कम दोगुनी करने की जरूरत है ताकि देश को यथोचित सेवा दे सकें। कुमार ने यहां बेंगलूर स्पेस एक्सपो-2016 (बीएसएक्स-2016) का उद्घाटन करने के बाद कहा कि इसका यह भी मतलब है कि देश को आज के समय से बहुत अधिक रफ्तार से उपग्रह प्रक्षेपण करने की और उनका निर्माण करने की क्षमता बढ़ाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि आज इसरो एक महीने में एक प्रक्षेपण पूरा करने की क्षमता रखता है। अगर हमें देश को, उसकी सरकार को और निगरानी की जरूरतों को प्रभावी समाधान मुहैया कराने हैं तो निकट भविष्य में इस क्षमता को डेढ़ से दोगुना तक बढ़ाना होगा। कुमार ने कहा, हमने शुरूआत कर दी है, लेकिन हमें अब भी बड़ी दूरी तय करनी है। आज हम अपनी प्रक्षेपण आवृत्ति बढ़ाने में सक्षम नहीं है क्योंकि आज जो आपूर्ति श्रृंखला मौजूद है वह हमारी मांग पूरी करने के लिहाज से अपर्याप्त है। इसरो की आज तक की यात्रा को याद करते हुए उन्होंने कहा कि करीब 138 मिशन पूरे हो चुके हैं और अंतरराष्ट्रीय समुदाय के 74 उपग्रहों को भारत के प्रमुख उपग्रहों के साथ छोड़ा जा रहा है। इसरो प्रमुख ने कहा कि यह सुनिश्चित करना होगा कि जो क्षमताएं विकसित की जा रहीं हैं, उन्हें वास्तव में व्यावहारिक धरातल पर उतारा जाए। उन्होंने कहा कि मौजूदा केंद्र और राज्य सरकारें अब मान रहीं हैं कि अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी आधारित साधनों की अच्छे और प्रभावी शासन में महत्वपूर्ण भूमिका होती है। कुमार ने कहा कि पिछले तीन-साढ़े तीन दशक में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी आधारित साधनों के इस्तेमाल के लिए सरकारी एजेंसियों के साथ भागीदारी के इसरो के प्रयासों की गति धीमी रही। उन्होंने कहा कि इसरो आज व्यावहारिक रूप से 60 केंद्रीय विभागों के साथ और सभी राज्य सरकारों के साथ काम कर रहा है ताकि उनकी योजनाओं और निगरानी गतिविधियों को बेहतर बनाया जा सके। इसरो, इसकी व्यावसायिक इकाई एंटिक्स और सीआईआई द्वारा तीन सितंबर तक आयोजित पांचवें बेंगलूर स्पेस एक्सपो में 12 देशों के प्रतिनिधि भाग रहे हैं। एंटिक्स अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक एस. राकेश ने कहा कि 2015 में वैश्विक अंतरिक्ष बाजार 330 अरब डालर का था और इसका करीब 75 प्रतिशत उपग्रहों में था। उन्होंने कहा कि लघु उपग्रह बाजार बढ़ रहा है और अगले पांच साल में 2000 से 2500 छोटे उपग्रह छोड़े जा सकते हैं।
भाषा