दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत लोकतांत्रिक देशों की सूची में काफी नीचे पहुंच गया है। समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, वार्षिक वैश्विक लोकतंत्र सूचकांक में भारत 10 पायदान खिसककर 42वें स्थान पर पहुंच गया है। रूढ़िवादी धार्मिक विचारधाराओं के बढ़ने और अल्पसंख्यकों व अन्य असहमत आवाजों के खिलाफ बढ़ती भीड़ की हिंसा को इसकी वजह बताई गई है।
अर्थशास्त्री खुफिया इकाई (ईआईयू) द्वारा संकलित इस सूचकांक में पिछले साल भारत 32वें स्थान पर था। इस सूचकांक में 165 स्वतंत्र देशों को शामिल किया गया है। भारत का कुल स्कोर 7.23 अंक तक गिर गया है, जबकि चुनावी प्रक्रिया (9.17) पर भारत का अच्छा प्रदर्शन है। यह अन्य चार मापदंडों- राजनीतिक संस्कृति, सरकार का कामकाज, राजनीतिक भागीदारी और नागरिक स्वतंत्रता पर इतना अच्छा स्कोर करने में कामयाब नहीं हुआ है।
सूचकांक के अनुसार, भारत में पत्रकारों को सरकार, सेना तथा चरमपंथी समूहों से खतरा है। इसके अलावा हिंसा के जोखिम ने भी मीडिया की कार्यशैली को प्रभावित किया है।
इस सूची को चार व्यापक श्रेणियों - पूर्ण लोकतंत्र, अपूर्ण लोकतंत्र, संकर शासन और सत्तावादी शासन में बांटा गया है। अमेरिका (21 वीं रैंक), जापान, इटली, फ्रांस, इज़राइल, सिंगापुर और हांगकांग को 'अपूर्ण लोकतंत्र' के नाम पर रखा गया है।
इस सूची में चीन 139वें स्थान पर है जबकि म्यांमार 120वें, रूस 135वें और वियतनाम 140वें स्थान पर है। उत्तर कोरिया को इस सूची में सबसे निचला 167वां स्थान मिला है।
वहीं सूची में शीर्ष तीन स्थानों पर नॉर्डिक देशों - नॉर्वे, आइसलैंड और स्वीडन का कब्जा है। न्यूजीलैंड चौथे स्थान पर है और डेनमार्क पांचवें स्थान पर है, जबकि शीर्ष दस में आयरलैंड, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, फिनलैंड और स्विटजरलैंड शामिल हैं।