वर्धा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. गिरीश्वर मिश्र ने भाषा को बताया कि हिंदी भाषा, समृद्ध साहित्य के साथ-साथ व्यापक क्षेत्र में प्रयुक्त माध्यम भी है। विश्वविद्यालय सामाजिक विकास और समाज के व्यापक वर्ग की अभिव्यक्ति की संभावनाओं को आकार देने में हिंदी की भूमिका को अधिक सशक्त बनाने के लिए प्रतिबद्ध है जहां भाषा, साहित्य, समाज विज्ञान, पत्रकारिता तथा कला आदि विभिन्न क्षेत्रों में अध्ययन, शोध और नवाचार के अनेक उपक्रमों में विश्वविद्यालय संलग्न है।
उन्होंने कहा कि यहां सभी पाठ्यक्रम हिंदी भाषी विद्यार्थियों की समस्याओं को पूरी तरह ध्यान में रखकर तैयार किए गए हैं। विश्वविद्यालय का प्रशासन देश के दूरदराज क्षेत्रों में भी उच्च शिक्षा से वंचित नागरिकों को हिंदी भाषा में ही शिक्षा का अवसर मुहैया कराने का प्रयास कर रहा है। मिश्र ने कहा कि प्रबंधन, आईटी और विधि जैसे विषयों की पढ़ाई हिंदी माध्यम से कराने की चुनौती विश्वविद्यालय ने स्वीकार की है। हम जल्द ही लॉ की पढ़ाई हिंदी माध्यम से कराएंगे।
उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय निकट भविष्य में विदेशों में भी अपनी शाखाएं खोलने के लिए प्रयासरत है। ऑक्सफोर्ड और कैम्ब्रिज शब्दकोशों की तर्ज पर ही हिंदी में वर्धा शब्दकोश तैयार किए गए हैं। हिंदी को विश्वभाषा बनाने के लिए विश्वविद्यालय ने कदम उठाए हैं जिनमें विदेशी विश्वविद्यालयों में हिंदी माध्यम से अध्ययन एवं शोध के लिए यह विश्वविद्यालय समन्वयक की भूमिका निभाने की तैयारी कर रहा है।
मिश्र ने कहा कि वर्धा विश्वविद्यालय में भारतेंदु काल से अब तक के महत्वपूर्ण हिंदी साहित्य का कॉपीराइट मुक्त संस्करण विश्वभर के हिंदी पाठकों को सुलभ कराने का प्रयास वेबसाइट हिंदीसमयडॉटकॉम के माध्यम से किया जा रहा है। विश्वविद्यालय में हिंदी माध्यम से कई रोजगारपरक पाठ्यक्रम चलाए जा रहे हैं जो एमबीए, जनसंचार, सामाजिक कार्य, बी.ए, कंप्यूटेशनल लिंग्विस्टिक्स, इन्फॉर्मेटिक्स एंड लैंग्वेज इंजीनियरिंग, परफार्मिंग आर्ट, भाषा प्रौद्योगिकी, अनुवाद अध्ययन समेत कई विषयों में एमए, एमफिल और पीएचडी के रोजगारपरक पाठ्यक्रम हिंदी माध्यम से संचालित किये जा रहे हैं।