रामदेव ने कहा कि सारी दुनिया जानती है कि पद्मश्री, पद्म भूषण या पद्म विभूषण जैसे जितने पुरस्कार होते हैं और यहां तक कि नोबेल पुरस्कार भी अच्छे लोगों को भी दिये जाते हैं लेकिन उसके पीछे बहुत लाॅबिंग होती है। जिनके पास राजनीतिक रसूख होता है उन्हें यह मिल जाता है। रामदेव को इस साल का पद्म पुरस्कार देने का संकेत दिया गया था, लेकिन उन्होंने गृहमंत्री राजनाथ सिंह को पत्र लिख कर इसे स्वीकार करने से मना कर दिया था। उन्होंने कहा था कि वह एक संन्यासी हैं तथा देश एवं लोगों की सेवा करना उनका धर्म है।
योग के बारे में बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि भारत की 50 प्रतिशत जनसंख्या कई बीमारियों के इलाज में अपनी पूरी संपत्ति को गिरवी रखने या कर्ज लेने को मजबूर है। योग उन्हें इस समस्या से निजात दिला सकता है। उन्होंने कहा कि वह लोगों से दरख्वास्त करेंगे कि विश्व योग दिवस पर 10 करोड़ परिवार इसमें भाग लें।
रामदेव ने कहा कि हमारा लक्ष्य मोटे भारतीयों का एक करोड़ किलोग्राम वजन घटाना है जिसके लिए हम देश भर में मोटापा विरोधी शिविर लगायेंगे। उपदेश के दौरान अपनी बातों को हास्यपूर्ण ढंग से रखने के लिए चर्चित रामदेव ने कहा कि योग कक्षाओं के लिए शुल्क लेना अल्कोहल और मादक पदार्थ के लिए पैसे लेनेे से अब भी बेहतर है। योग से तन और मन दोनों को लाभ पहुंचता है। उन्होंने कहा, और जड़ी बूटी वाले उत्पाद, जो हम देते हैं, लोगों के फायदे के लिए है, न कि गलाकाट कारोबार के लिए। उन्होंने मजाकिया अंदाज में यह भी कहा कि यदि आरएसएस योग को बढ़ावा देता है तो उससे विवाद पैदा होगा।