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तो अबकी बार ISRO से भी हो सकता है राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार?

इसरो ने जीएसएलवी मार्क 3 लांच कर विज्ञान के क्षेत्र में इतिहास रचा है, लेकिन क्या इस बार राष्ट्रपति पद के लिए इसरो के किसी वैज्ञानिक को उम्मीदवार बनाया जा सकता है? अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में मिसाइल मैन अब्दुल कलाम का हवाला देते हुए राजनीतिक गलियारों में इस तरह की चर्चाएं चल रही हैं। ऐसा हुआ तो यह भी अपने आप में इतिहास ही होगा।
तो अबकी बार ISRO से भी हो सकता है राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार?

अगले महीने राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का कार्यकाल पूरा हो रहा है। इसी महीने राष्ट्रपति चुनाव के लिए अधिसूचना जारी होने की उम्मीद है। विपक्ष राष्ट्रपति पद के लिए किसी उपयुक्त उम्मीदवार की तलाश में और गोलबंदी कर रहा है। दूसरी तरफ सत्तापक्ष इस मसले पर एक दम चुप्पी साधे हुए है। सत्तापक्ष की इस चुप्पी ने विपक्ष की बेचैनी बढ़ा दी है। मौजूदा स्थिति को देखें तो सत्तापक्ष के पास भी राष्ट्रपति उम्मीदवार के लिए करीब 14 हजार वोटों की कमी पड़ने वाली है। लेकिन विपक्ष के लिए अपने उम्मीदवार को जिताना और भी मुश्किल है।

राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि भारतीय जनता पार्टी, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के किसी प्रतिष्ठित वैज्ञानिक को भी राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के लिए आगे कर सकती है। भाजपा से जुड़े सूत्रों का कहना है कि पार्टी के अंदर पहले से ही इस तरह का विचार है। ऐसा कर भाजपा एक तीर से क्ई निशाने साध सकती है। राष्ट्रपति पद को लेकर आरएसएस और पार्टी संगठन में अंदर खाने चल रही होड़ पर विराम लग सकता है तो दूसरी तरफ विपक्ष की रणनीति की भी हवा निकल सकती है।

इसके अलावा अगर इसरो के किसी बड़े वैज्ञानिक को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया जाता है तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश-दुनिया में अपनी वैज्ञानिक सोच की ब्रांडिंग भी कर सकते हैं। गौरतलब है कि अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में भाजपा ने मिसाइल मैन अब्दुल कलाम को राष्ट्रपति बनवाया था। उधर सोमवार को इसरो ने जीएसएलवी-मार्क 3 को सफलतापूर्व लांच कर इतिहास रचा है। 

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