छत्तीसगढ़ के जल संसाधन मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने देश में सूक्ष्म सिंचाई परियोजनाओं पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि शायद आने वाले वर्षों में हमारे पास नई नहरों के निर्माण के लिए पर्याप्त भूमि नहीं होगी, इसलिए इन बड़ी सिंचाई परियोजनाओं के स्थान पर सूक्ष्म सिंचाई परियोजनाओं पर विचार करना ही विवेकपूर्ण होगा।
'स्थायी जल प्रबंधन के लिए एकीकृत दृष्टिकोण' की थीम पर आयोजित इस दो दिवसीय कार्यक्रम में सतत विकास, भू-जल, जल सुरक्षा, जल प्रशासन, जल वितरण के सिद्धांतो, जल प्रबंधन, केंद्र और राज्यों के बीच तालमेल, जल संरक्षण और पानी पर एक राष्ट्रीय कानून की जरूरत के लिए नदी बेसिन दृष्टिकोण पर परामर्श और विचार विमर्श किया गया।
जल मंथन का आयोजन प्रति वर्ष किया जाएगा
केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्री उमा भारती ने नई दिल्ली में आयोजित जल मंथन-2 के समापन समारोह के दौरान घोषणा की, कि जल मंथन सम्मेलन का आयोजन अब प्रतिवर्ष किया जाएगा। सुश्री भारती ने इस बात की भी घोषणा की, कि उनका मंत्रालय कुछ ऐसे मुद्दे जो जल मंथन-2 में शामिल नहीं हो पाए हैं, उन्हें अप्रैल में होने वाले जल सप्ताह में शामिल किया जाएगा।
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