फेक न्यूज से निपटने के लिए सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने सोमवार को पत्रकारों की मान्यता के संशोधित दिशानिर्देश जारी किए हैं। इसमें 'फेक न्यूज' चलाने और फैलाने वाले पत्रकारों की मान्यता खत्म करने जैसे कठोर प्रावधान शामिल हैं। इस फैसले को सरकार फर्जी खबरों की रोकथाम के लिए कारगर कदम मान रही है जबकि दुरुपयोग की आशंका को लेकर पत्रकारों की ओर से इसका विरोध किया जा रहा है।
मंत्रालय द्वारा जारी गाइडलाइन के मुताबिक, “अब फेक न्यूज के बारे में किसी प्रकार की शिकायत मिलने पर अगर वह प्रिंट मीडिया का हुआ तो उसे प्रेस कौंसिल ऑफ इंडिया और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का हुआ तो न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन को भेजा जाएगा। ये संस्थाएं यह निर्धारित करेंगी कि समाचार फेक है या नहीं। इन एजेंसियों को 15 दिन के अंदर खबर के फर्जी होने या न होने का निर्धारण करना होगा।”
अहम बात यह है कि एक बार शिकायत दर्ज कर लिए जाने के बाद आरोपी पत्रकार की मान्यता जांच के दौरान भी निलंबित रहेगी। यानी शिकायत होते ही पत्रकार की मान्यता 15 दिनों के लिए निलंबित हो जाएगी। जांच से पहले ही इस तरह की कार्रवाई को लेकर सवाल उठ रहे हैं।
नए दिशानिर्देशों के मुताबिक अगर फर्जी खबर के प्रकाशन या प्रसारण की पुष्टि होती है तो पहली बार ऐसा करते पाये जाने पर पत्रकार की मान्यता छह महीने के लिये निलंबित की जाएगी। दूसरी बार फेक न्यूज करते पाये जाने पर उसकी मान्यता एक साल के लिए निलंबित की जाएगी। इसके अनुसार, तीसरी बार उल्लंघन करते पाये जाने पर पत्रकार की मान्यता स्थाई रूप से रद्द कर दी जाएगी।
विरोध के सुर
मीडिया जगत में सरकार के इस कदम की आलोचना भी शुरू हो गई है। कई पत्रकारों का कहना है कि यह मीडिया का गला घोंटने का प्रयास है और इसका बेजा इस्तेमाल किया जा सकता है। सवाल उठ रहे हैं कि फेकन्यूज फैलाने में सबसे ज्यादा उपयोग में आने वाली न्यूज वेबसाइटें इस नियम के घेरे में नहीं है। जबकि मुख्यधारा मीडिया या मान्यता प्राप्त पत्रकार पर शिकंजा आसानी से कसा जा सकेगा। पत्रकारों का यह भी कहना है कि कोई न्यूज फेक न्यूज कैसे है?...यह किस प्रकार तय किया जाएगा? वहीं शिकायत मिलते ही 15 दिन के लिए पत्रकार की मान्यता को निलंबित करने के प्रावधान को आरोप साबित होने से पहले दंड करार दिया जा रहा है।
हालांकि सरकार फेक न्यूज की आड़ में मीडिया पर अंकुश के आरोपों से इंकार कर रही है। वरिष्ठ पत्रकार सुहासिनी हैदर के सवाल पर सफाई देते हुए स्मृति ईरानी ने ट्वीट किया कि सरकार फेक न्यूज की जांच को रेगुलेट या ऑपरेट नहीं करेगी और इसके लिए जो नैतिक आचरण नियम तय किए जाएंगे, वे वही होंगे जो एनबीए और पीसीआई जैसी पत्रकारों की संस्थाओं के हैं।
Committee comprising of senior officers , reps of PCI, NBA, IBF set up for regulations/ policy for digital broadcasting & News portals. Till such time the regulation is not implemented rules cannot be enforced for news portals by industry.
— Smriti Z Irani (@smritiirani) April 2, 2018
सुहासिनी हैदर ने ट्वीट कर कहा था, “सरकार के आज के आदेश के मुताबिक सजा सिर्फ उन्हें मिलेगी जो मान्यता प्राप्त हैं। उन्हें सिर्फ शिकायत के आधार पर ही दंड दे दिया जाएगा, अंतिम निर्णय की प्रतीक्षा नहीं की जाएगी। मुझे नहीं लगता कि यह उचित है।”
वरिष्ठ पत्रकार शेखर गुप्ता ने इस कदम का विरोध करते हुए ट्वीट किया, “यह मुख्यधारा की मीडिया पर असाधारण हमला है। यह वैसा ही है जैसा राजीव गांधी का एंटी डेफमेशन बिल था। सभी मीडिया को अपने मतभेद भुलाकर इसका विरोध करना चाहिए।”
Make no mistake: this is a breathtaking assault on mainstream media. It’s a moment like Rajiv Gandhi’s anti-defamation bill. All media shd bury their differences and resist this. https://t.co/pyvgymhIkF
— Shekhar Gupta (@ShekharGupta) April 2, 2018
वरिष्ठ पत्रकार माधव दास नलपत ने लिखा कि ऐसा कदम लोकतंत्र के लिए एक अपमान है। मीडिया को दूर रखें, श्रीमान सरकार शर्म की बात है कि ब्रिटिश औपनिवेशिक दृष्टिकोण अब भी शासन में जारी है।
Indian Express front pager about blacklisting journalists. Such a move is a disgrace to democracy. Keep off the media, Mr Sarkar. Shame that British colonial attitudes still persist in governance. ^MN
— Madhav Das Nalapat (@MD_Nalapat) April 3, 2018
कई पत्रकार इस गाइडलाइन पर पर विचार करने के लिए दिल्ली प्रेस क्लब में बैठक करने और विरोध की तैयारी भी कर रहे हैं।
The Press Club of India is holding an emergency meeting of journlaists tomorrow at 4pm to discuss the governement's amendments to the Guidelines for Accreditation of Journalists.
— amrita madhukalya (@visually_kei) April 2, 2018
इस संबंध में प्रेस क्लब ऑफ इंडिया ने मंगलवार को 4 बजे पत्रकारों की एक आपात बैठक आयोजित करने का फैसला किया है।