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कार्यपालिका के विफल होने पर ही न्यायपालिका हस्तक्षेप करती है: प्रधान न्यायाधीश

भारत के प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति टी एस ठाकुर ने कहा है कि न्यायपालिका तभी हस्तक्षेप करती है जब कार्यपालिका अपनी संवैधानिक जिम्मेदारियों को निभाने में विफल हो जाती है।
कार्यपालिका के विफल होने पर ही न्यायपालिका हस्तक्षेप करती है: प्रधान न्यायाधीश

प्रधान न्यायाधीश टी एस ठाकुर ने ईटीवी न्यूज नेटवर्क को दिए एक साक्षात्कार में कहा, अदालतें केवल अपनी संवैधानिक जिम्मेदारी अदा करती हैं और अगर सरकार अपना काम करेगी तो इसकी जरूरत नहीं होगी। ईटीवी नेटवर्क द्वारा जारी विज्ञप्ति में बताया गया है कि कार्यपालिका और न्यायपालिका में रस्साकशी के बीच सीजेआई ने कहा है कि अगर सरकारी एजेंसियों की ओर से अनदेखी और नाकामी रहती है तो न्यायपालिका निश्चित रूप से अपनी भूमिका अदा करेगी।

 

सरकारी कामकाज में कथित न्यायिक हस्तक्षेप के संबंध में वित्त मंत्री अरुण जेटली के हालिया बयान के बारे में पूछे जाने पर सीजेआई ठाकुर ने कहा, हम केवल संविधान द्वारा निर्दिष्ट अपने पद संबंधी कर्तव्यों को पूरा करते हैं। अगर सरकारें अपना काम बेहतर तरीके से करें तो हमें हस्तक्षेप की कोई जरूरत नहीं पड़ेगी। उन्होंने कहा, सरकार को आरोप मढ़ने के बजाय अपना काम करना चाहिए और लोग अदालतों में तभी आते हैं जब वे कार्यपालिका से निराश हो जाते हैं। न्यायपालिका में बड़ी संख्या में खाली पड़े पदों के संबंध में न्यायमूर्ति ठाकुर ने कहा, मैंने कई बार प्रधानमंत्री से अनुरोध किया है और इस मुद्दे पर केंद्र को एक रिपोर्ट भी भेज रहा हूं।

 

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