करगिल युद्ध को हुए आज यानी 26 जुलाई 2019 को 20 साल पूरे हो गए। आज ही के दिन भारतीय सेना ने अपने पराक्रम का परिचय देते हुए पाकिस्तान को युद्ध में हराया था और अपने 'ऑपरेशन विजय' को पूरा किया था। 20 साल पहले कारगिल की चोटी पर पाकिस्तान को परास्त कर हमारे वीर जवानों ने करगिल की पहाड़ियों पर तिरंगा लहराया था।
शुक्रवार को 'ऑपरेशन विजय' शहीदों के सम्मान में दूर-दूर से लोग द्रास के शहीद स्मारक पर पहुंच रहे हैं, जहां करगिल विजय दिवस मनाया जा रहा है। वहीं, राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत देश के बड़े नेताओं ने करगिल दिवस के मौके पर शहीदों को याद किया।
जवानों के साथ पीएम मोदी की तस्वीर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने करगिल युद्ध के दौरान की अपनी कुछ तस्वीरें शेयर की हैं। तस्वीरों के साथ उन्होंने लिखा कि 1999 में करगिल युद्ध के दौरान मुझे वहां जाने और अपने बहादुर सैनिकों के साथ एकजुटता दिखाने का अवसर मिला।
राष्ट्रपति ने जवानों के शौर्य को किया नमन
राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने करगिल-विजय दिवस के अवसर पर शहीदों को याद करते हुए लिखा कि करगिल-विजय दिवस हमारे कृतज्ञ राष्ट्र के लिए 1999 में करगिल की चोटियों पर अपने सशस्त्र बलों की वीरता का स्मरण करने का दिन है। हम इस अवसर पर, भारत की रक्षा करने वाले योद्धाओं के धैर्य व शौर्य को नमन करते हैं। हम सभी शहीदों के प्रति आजीवन ऋणी रहेंगे। जय हिन्द!
रक्षा मंत्री ने दी श्रद्धांजलि
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने नेशनल वॉर मेमोरियल में करगिल-विजय दिवस की 20वीं सालगिरह के अवसर पर शहीदों को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने लिखा कि सारा देश उन सभी शहीद सैनिकों को श्रद्धांजलि अर्पित करता है जिन्होंने विपरीत परिस्थितियों के बावजूद बहादुरी से लड़ते हुए भारत के सम्मान की रक्षा की। उनका अदम्य साहस एवं बलिदान प्रेरणास्पद है।
उप राष्ट्रपति ने किया नमन
उप राष्ट्रपति वैंकया नायडू ने वीर सैनिकों को याद करते हुए कहा कि आपकी वीरता आज भी लोक स्मृति में सजीव है, जिसे भावी पीढ़ियां श्रद्धापूर्वक स्मरण करेंगी। कृतज्ञ राष्ट्र अमर शहीदों, वीर सैनिकों और उनके परिजनों के त्याग का सम्मान करता है।
कांग्रेस ने देशवासियों को दी शुभकामनाएं
करगिल-विजय दिवस के मौके पर कांग्रेस पार्टी ने देशवासियों को शुभकामनाएं देते हुए लिखा है कि आज ही के दिन हमारे वीर सैनिकों ने अपने पराक्रम से पाकिस्तान को युद्ध में परास्त कर पूरे विश्व को स्वाभिमानी और साहसी होने का संदेश दिया था। करगिल-विजय का हिस्सा रहे सभी सैनिकों को नमन।
‘करगिल-विजय दिवस की सभी देशवासियों को गर्व भरी शुभकामनाएं। आज ही के दिन हमारे वीर सैनिकों ने अपने पराक्रम से पाकिस्तान को युद्ध में परास्त कर पूरे विश्व को स्वाभिमानी और साहसी होने का संदेश दिया था। करगिलविजय का हिस्सा रहे सभी सैनिकों को नमन।’
भारतीय वायुसेना की ताकत में इजाफा हुआ: वायुसेना प्रमुख बीएस धनोआ
करगिल-विजय दिवस पर वायुसेना प्रमुख बीएस धनोआ ने कहा कि भारतीय वायुसेना की ताकत में इजाफा हुआ है और हम अब किन्हीं भी हालात का सामना बेहतर तरीके से कर सकते हैं। करगिल में पाकिस्तानी घुसपैठ के बारे में स्थानीय गड़ेरियों ने भारतीय सुरक्षा बलों को जानकारी दी थी जिसके बाद घुसपैठियों को निकालने की कार्रवाई शुरू की गई थी।
सामरिक तौर पर करगिल संवेदनशील माना जाता है। रणनीतिक तौर पर घुसपैठिए भारतीय फौज से बेहतर पोजिशन में थे,लेकिन भारतीय सेना ने साबित कर दिया था कि हालात कितने भी मुश्किल क्यों न हों, वह जंग के रुख को अपने पक्ष में कर सकते हैं।
करगिल-विजय दिवस
भारत और पाकिस्तान के बीच सबसे प्रमुख युद्धों में से एक है करगिल युद्ध। दरअसल, भारत और पाकिस्तान के बीच 1999 में करगिल युद्ध हुआ था। इसकी शुरुआत हुई थी 8 मई 1999 से जब पाकिस्तानी फौजियों और कश्मीरी आतंकियों को करगिल की चोटी पर देखा गया था। पाकिस्तान इस ऑपरेशन की 1998 से तैयारी कर रहा था।
एक बड़े खुलासे के तहत पाकिस्तान का दावा झूठा साबित हुआ कि करगिल लड़ाई में सिर्फ मुजाहिद्दीन शामिल थे। बल्कि सच ये है कि यह लड़ाई पाकिस्तान के नियमित सैनिकों ने भी लड़ी। पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के पूर्व अधिकारी शाहिद अजीज ने यह राज उजागर किया था। करगिल सेक्टर में 1999 में भारतीय और पाकिस्तानी सैनिकों के बीच लड़ाई शुरू होने से कुछ सप्ताह पहले जनरल परवेज मुशर्रफ ने हेलिकॉप्टर से नियंत्रण रेखा पार की थी और भारतीय भूभाग में करीब 11 किमी अंदर एक स्थान पर रात भी बिताई थी। इस काम के लिए पाक सेना ने अपने 5000 जवानों को करगिल पर चढ़ाई करने के लिए भेजा था।
तत्कालीन पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने इस बात को स्वीकारा था कि करगिल का युद्ध पाकिस्तानी सेना के लिए एक आपदा साबित हुआ था। पाकिस्तान ने इस युद्ध में 2700 से ज्यादा सैनिक खो दिए थे। पाकिस्तान को 1965 और 1971 की लड़ाई से भी ज्यादा नुकसान हुआ था। आज द्रास के युद्ध स्मारक में हर किसी की जुबान पर बस भारत मां के सपूतों की वीरता के किस्से हैं।