कासमी ने एजेंसी भाषा से बातचीत करते हुए कहा कि वह अण्णा टीम में रहकर जिन मुद्दों को उठा रहे थे, प्रशांत भूषण भी आज उन्हीं मुद्दों को खड़ा कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि उन्होंने जब बैठकों की कार्यवाही में पारदर्शिता लाने और इंडिया अगेंस्ट करप्शन के चंदे को पीसीआरएफ में डालने की बात कही थी, यदि उसी समय लोगों ने उनका साथ दिया होता तो आज आप में तानाशाही की समस्या खड़ी नहीं होती।
कासमी ने कहा कि टीम अण्णा की बैठकों में भी चंद लोग फैसले करते थे और शेष लोगों का काम उन पर सिर्फ मुहर लगाना होता था, लेकिन वह उस वक्त भी अपना विरोध दर्ज कराते थे और इसी लिए केजरीवाल को उनका अण्णा टीम में रहना बर्दाश्त नहीं था। उन्होंने कहा कि आप की शुरूआत से लग रहा था कि यह पार्टी अंततः सभी दलों को स्वच्छता और पारदर्शिता की राजनीति पर चलने के लिए मजबूर कर देगी, मगर इस पार्टी के मौजूदा घटनाक्रम ने स्वच्छ राजनीति की चाह रखने वाले लोगों को निराश कर दिया है।