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जानें सच्चर कमिटी के बारे में जिसके लिए याद किए जाते रहेंगे जस्ट‍िस राजिंदर

जस्ट‍िस राजिंदर सच्चर शुक्रवार को हमारे बीच नहीं रहे। वे ‘मानवाधिकारों’ को लेकर किए अपने काम और...
जानें सच्चर कमिटी के बारे में जिसके लिए याद किए जाते रहेंगे जस्ट‍िस राजिंदर

जस्ट‍िस राजिंदर सच्चर शुक्रवार को हमारे बीच नहीं रहे। वे ‘मानवाधिकारों’ को लेकर किए अपने काम और ‘सच्चर कमिटी’ की सिफारिशों के लिए हमेशा याद किए जाते रहेंगे।

जस्टिस सच्चर ने 1952 में वकालत शुरू की थी। 1970 में दो साल के लिए उन्हें दिल्ली हाई कोर्ट का अडिशनल जज बनाया गया। इसके बाद वह दिल्ली हाई कोर्ट के जज बने। छह अगस्त 1985 से 22 दिसंबर 1985 तक वे दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रहे। सच्चर रिटायर होने के बाद एक मानवाधिकार समूह पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज के साथ जुड़े रहे।

भारतीय समाज या राजनीति में ‘सच्चर’ की बात जब भी की जाती है तब सबका ध्यान अवश्य ‘सच्चर कमिटी’ की ओर जाता है।

दरअसल देश में मुसलमानों की सामाजिक-आर्थिक और शैक्षिक दशा जानने के लिए यूपीए सरकार के समय 2005 में दिल्ली हाइकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस राजिंदर सच्चर की अध्यक्षता में समिति गठित की गई थी। 20 महीने बाद 30 नवंबर, 2006 को 403 पेज की रिपोर्ट लोकसभा में पेश किया गया था। जस्ट‍िस राजि‍न्‍दर सच्‍चर द्वारा तैयार की गई इस रिपोर्ट में 'भारत के मुस्‍लि‍म समुदाय की सामाजि‍क, आर्थि‍क और शैक्षि‍क स्‍थि‍ति' को लेकर कई सि‍फारि‍शें की गई। रिपोर्ट ने कई चौंकाने वाले खुलासे किए। बताया गया कि भारतीय मुसलमानों की स्थिति अनुसूचित जाति-जनजाति की तरह ही खराब है।

इसके मद्देनजर समिति ने कई संस्तुतियां की जिससे मुसलमानों की स्थिति में सुधार हो सके।

सच्चर कमिटि की प्रमुख सिफारिशें-

-रोजगार में मुसलमानों का हिस्सा बढ़ाना, मदरसों को हायर सेकंडरी स्कूल बोर्ड से जोड़ने की व्यवस्था बनाना।

-14 वर्ष तक के बच्‍चों को निःशुल्क और उच्‍च गुणवत्‍ता वाली शि‍क्षा मुहैय्या कराना, मुस्‍लि‍म बहुल क्षेत्रों में सरकारी स्‍कूल खोलना, स्कॉलरशीप देना, मदरसों का आधुनि‍कीकरण करना आदि।

-प्राथमि‍कता वाले क्षेत्रों के मुसलमानों को ऋण सुवि‍धा उपलब्‍ध कराना और प्रोत्‍साहित करना देना, मुस्‍लि‍म बहुल क्षेत्रों में और बैंक शाखाएं खोलना, महि‍लाओं के लि‍ए सूक्ष्‍म वि‍त्‍त को प्रोत्साहन देना।

-मुस्‍लि‍म आबादी वाले इलाकों में कौशल वि‍कास के लि‍ए आईटीआई और पॉलि‍टेक्‍नि‍क संस्‍थान खोलना।

-वक्‍फ संपत्‍ति‍यों आदि का बेहतर उपयोग।

-वि‍शेष क्षेत्र वि‍कास की पहलें- गांवों/शहरों/बस्‍ति‍यों में मुसलमानों सहि‍त सभी गरीबों को मूलभूत सुवि‍धाएं, बेहतर सरकारी स्‍कूल, स्‍वास्‍थ्‍य सुवि‍धाएं मुहैय्या कराना।

-चुनाव क्षेत्र के परिसीमन प्रक्रिया में इस बात का ध्यान रखना कि अल्पसंख्यक बहुल क्षेत्रों को अनुसूचित जाति के लिए आरक्ष‍ित न किया जाए।

-मदरसों की डिग्री को डिफेंस, सिविल और बैंकिंग एग्जाम के लिए मान्य करने के लिए कदम उठाना।

-समान अवसर आयोग, नेशनल डेटा बैंक और असेसमेंट और मॉनि‍टरी अथॉरि‍टी का गठन करना।

 

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