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ऑक्सीजन से लेकर दवा तक- लेने में न करें जल्दीबाजी, फंगस से लेकर जान तक का खतरा, एक्सपर्ट ने बताया कैसे करें इस्तेमाल

कोरोना संक्रमण हर दिन हमें इस बात का आभास गहराई तक करा रहा है कि हम ऑक्सीजन पर ही जिंदा है और इसके ना...
ऑक्सीजन से लेकर दवा तक- लेने  में न करें जल्दीबाजी, फंगस से लेकर जान तक का खतरा, एक्सपर्ट ने बताया कैसे करें इस्तेमाल

कोरोना संक्रमण हर दिन हमें इस बात का आभास गहराई तक करा रहा है कि हम ऑक्सीजन पर ही जिंदा है और इसके ना मिलने से मर सकते हैं। यही चीजें देश के दर्जनों अस्पतालों में हो रहा है, जहां ऑक्सीजन की कमी की वजह से सैकड़ों लोग हर दिन दम तोड़ रहे हैं। कोरोना मरीजों को सबसे ज्यादा इसकी जरूरत हो रही है।

कृत्रिम ऑक्सीजन सिलिंडर हजारों रूपए में बाजार में बेचे जा रहे हैं। अस्पताल के बदतर हो चले हालात को लेकर लोग अपने पीड़ितों का घर पर भी इलाज और ऑक्सीजन सपोर्ट दे रहे हैं। मरीज होम आइसोलेशन में रह रहे हैं और वो ऑक्सीजन सपोर्ट पर हैं। लेकिन, डॉक्टरों का कहना है कि ऑक्सीजन सिलिंडर को कैसे लगाना और ऑपरेट करना है। इसकी जानकारी ना हो तो मरीज की जान भी जा सकती है। ये आम चीजें नहीं है, जिसे कोई भी कर सकता हो। हां, पूरी जानकारी होने के बाद इसे लगाया जा सकता है। यदि मरीज का सांस फुल रहा है तब निमोनिया के लक्षण हो सकते हैं।

आउटलुक से बातचीत में किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) लखनऊ के पलमोनरी और क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष डॉक्टर वेद प्रकाश कहते हैं कि लोगों को बिना जाने ऑक्सीजन सिलिंडर का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। हमारे शरीर का ऑक्सीजन लेवल 90 से ऊपर होता है। वो कहते हैं, “सबसे पहले मरीज का ऑक्सीजन लेवल ऑक्सीमीटर का इस्तेमाल कर चेक करें। हमारा ऑक्सीजन लेवल 95 से ऊपर होना चाहिए। लेकिन, यदि मरीज का ऑक्सीजन लेवल 94 से कम है और उसे सांस लेने में तकलीफ हो रही है। तो हम ऑक्सीजन सपोर्ट दे सकते हैं। ऑक्सीजन रिलीज करने के लिए ऑक्सीजन सिलेंडर की नॉब को सिलेंडर के साथ में लगे वाटर बॉटल के एक नंबर से तीन नंबर प्रेशर से ऑक्सीजन रिलीज करें। यहां से लीटर में ऑक्सीजन रिलीज होता है। जिस बात का ध्यान रखना होता है और उस वक्त मरीज की ऊंगली में ऑक्सीमीटर लगा होना चाहिए। जब तय 94 लेवल पर ऑक्सीजन सेचुरेशन पहुंच जाए, तो हमें ये देखना होगा कि किस नंबर पर ये लेवल पहुंचा।“

ऑक्सीमीटर के बिना हम ऑक्सीजन लेवल को नहीं माप सकते हैं। लेकिन, कुछ गतिविधियां कर हम ये अनुमान लगा सकते हैं कि हमारा ऑक्सीजन लेवल ठीक है या नहीं। डॉ. वेद प्रकाश गांव में बढ़ते संक्रमण पर चिंता जताते हुए कहते हैं, “ग्रामीण भारत तक स्वास्थ्य व्यवस्था आज के दौर में भी दुर्लभ है। इसके लिए लोगों को खुद सचेत होना होगा और कोविड प्रोटोकॉल का पालन करना होगा। यदि कोई व्यक्ति 5-6 मिनट में 500 मीटर बिना रूके और थके चल लेता है तो उसके ऑक्सीजन लेवल में कोई दिक्कत नहीं है। उनमें निमोनिया के लक्षण शुरू हो रहे हैं जिसकी अंगुलियां नीली पड़ने लगे। एक्स-रे से भी ये पूरा स्पष्ट हो जाता है।“

मास्क के इस्तेमाल को लेकर केजीएमयू के डॉ. वेद प्रकाश कहते हैं कि लोगों का पहला हथियार यही है। वो कहते हैं, “एन95 मास्क का इस्तेमाल हमें संक्रमण से 95 फीसदी तक बचा सकता है। वहीं, अभी डबल मास्क के इस्तेमाल करने की जरूरत है। कपड़े वाले मास्क का भी इस्तेमाल कर सकते हैं लेकिन, सर्जिकल मास्क ज्यादा सही है।“

दवा की जानकारी ना होेने की वजह से भी कोरोना संक्रमित मरीजों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है और जान से हाथ धोना पड़ रहा है। डॉ. वेद बताते हैं कि कैसे शुरूआती लक्षणों के दिखने पर हम खुद का इलाज सावधानी से कर सकते हैं। लेकिन, किसी भी दवा के इस्तेमाल से पहले डॉक्टर की सलाह ले लेनी चाहिए। वो इस अवधि को 2 सप्ताह मानकर तय करते हैं जब वायरस अपने प्रारंभिक रूप से चरम पर पहुंचता है।

कोरोना संक्रमित चीनी वाले मरीज के इलाज में खास सावधानी बरतने की जरूरत है। ग्रामीण भारत में बढ़ते संक्रमण के खतरे को लेकर डॉ. वेद प्रकाश कहते हैं, “हमें आसान दवा किट उपलब्ध कराने होंगे। यहां क्लिनिकल चीजों की ज्यादा जरूरत है। इस समय की जो स्थिति है उसमें यदि किसी को गांव में बुखार-खांसी आ रहे हैं तो उसे मलेरिया-टायफायड नहीं है, कोरोना के लक्षण है। गांव में ये मामले अभी और बढ़ेंगे।“

डॉक्टर की  सलाह से इन दवाओं का इस्तेमाल कर सकते हैं...

डॉ. वेद के मुताबिक शुरूआती लक्षणों के दिखने पर ये दवा ले सकते हैं। याद रहें, किसी भी दवा के इस्तेमाल से पहले डॉक्टर की भी सलाह लें। मरीज पैरासिटामोल, लिवोसिट्रीजिन, विटामिन-सी, डी ले सकते हैं। सुगर और बीपी वाले मरीजों को छोड़ स्टेरॉयड का भी कोई नुकसान नहीं है। इसे ले सकते हैं। लेकिन, स्टेरॉयड की वजह से ब्लैक फंगस के मामले सामने आए हैं। कई जाने जा चुकी हैं। इसलिए, किसी भी दवा के इस्तेमाल से पहले डॉक्टर की सलाह लें।

वेद के मुतबाकि डेक्सामेथासोन या मेथापेरीलेसान डॉक्टर की सलाह पर हेवी डोज में ले सकते हैं। क्योंकि, उदाहरण के तौर पर तूफान से बचने के लिए हमें अधिक तैयारी करनी पड़ती है। उसी तरह ये शरीर है। वहीं, दूसरे सप्ताह में स्थिति को देखते हुए और डॉक्टर की सलाह पर डॉक्सीसाइक्लिन एंटीबायोटिक लेना चाहिए। जबकि एग्जॉथ्रोमाईसिन दवा को दिन में एक बार लेने की जरूरत है।

फिर से ये आपको बता दें कि किसी भी दवा के इस्तेमाल करने से पहले डॉक्टर की सलाह अवश्य लें नहीं तो इसका नुकसान हो सकता है।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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