उत्तराखंड में कोविड जांच संदेह के घेरे में हैं। कई मामले ऐसे सामने आए हैं, जिनमें निजी लैब ने कोरोना नेगेटिव की फर्जी जांच रिपोर्ट देकर लोगों को उत्तराखंड में आने का रास्ता साफ किया। अब नया मामला हरिद्वार में फर्जी नेगेटिव रिपोर्ट का सामने आया है। एक अनुमान के मुताबिक हरिद्वार कुंभ के दौरान लगभग एक लाख से ज्यादा फर्जी रिपोर्ट तैयार की गई और सरकार के पूरा पैसा ले लिया गया। अब इसकी जांच की बात की जा रही है।
उत्तराखंड के हरिद्वार में एक से 30 अप्रैल 2021 तक आयोजित कुंभ मेले के दौरान प्राइवेट लैब्स की ओर से किए गए कोविड-19 टेस्ट को लेकर गंभीर आरोप लगाए जा रहे हैं। सरकार ने इन आरोपों की जांच के आदेश दिये हैं। अगर इस मामले में कोई सच्चाई है तो कहना न होगा कि यह एक गंभीर मामला है। कोविड-19 डाटा के साथ इस तरह की छेड़छाड़ स्थिति का सटीक अध्ययन करने में बाधा डालती है जिससे नतीजों पर बड़ा असर पड़ने की संभावना रहती है।
पिछले साले से ही कोरोना मामलों का अध्ययन कर रही संस्था सोशल डेवलपमेंट कम्युनिटीज फॉउडेशन के मुखिया अनूप नौटियाल का कहना है कि बीते चार अप्रैल से 12 जून 2021 के बीच यानि 10 सप्ताह के दौरान उत्तराखंड में किए गए कुल कोविड टेस्ट में से 38 फीसदी हरिद्वार जिले में किए गए। लेकिन आश्चर्यजनक रूप से इस दौरान हरिद्वार जिले में पॉजिटिविटी रेट उत्तराखंड से 60 प्रतिशत कम रहा। यदि वास्तव में इस तरह की कोई अनियमितताएं की गईं हैं तो इसका बड़े पैमाने पर प्रभाव पड़ सकता है। ऐसे में आंकड़ों को फिर से जांचने और जरूरत है।
अनूप कहते हैं कि झूठे आंकड़े (यदि कोई हैं तो) राज्य में कोविड-19 महामारी की दूसरी वेब के खिलाफ चल रही लड़ाई को जीतने में बाधक होंगे। इसके साथ ही संभावित तीसरी वेव की तैयारियों के संदर्भ में लिये जाने वाले निर्णयों पर भी इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। ऐसी स्थिति में गलतियां स्वीकार करने और उनमें बदलाव करने में किसी तरह का कोई संकोच नहीं किया जाना चाहिए।
इस मामले से सवाल ये खड़े हो रहे हैं कि हरिद्वार कुंभ मेलॉ में आने वाले तीर्थयात्रियों के लिए कोविड-19 नेगेटिव रिपोर्ट लाना अनिवार्य किया गया था। हरिद्वार में 22 प्राइवेट लैब्स को जांच की अनुमति दी गई थी। इन जांचों के लिए प्राइवेट लैब्स को सरकार ने करोड़ों रुपये दिए। इसके बाद बी कोविड की झूठी रिपोर्ट तैयार की गई। फर्जी टेस्ट किए गए और गलत नाम, मोबाइल नंबर और आधार कार्ड नंबर दर्ज किए गए। अब उत्तराखंड सरकार ने हरिद्वार के डीएम को इन आरोपों की जांच के आदेश दिए हैं। डीएम ने इसके लिए तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया है। यह कमेटी 15 दिनों के भीतर अपनी रिपोर्ट देगी।
संस्था के मुखिया अनूप आकड़ों के हवाले से बताते हैं कि अप्रैल और मई 2021 में पब्लिक डोमेन में रखी गई कई रिपोर्टों में कई बार कहा गया कि उत्तराखंड के अन्य जिलों की तुलना में हरिद्वार जिले में पॉजिटिविटी रेट बहुत कम है। देशभर में महामारी चरम पर थी। फिर भी हरिद्वार जिले में पॉजिटिविटी रेट बहुत कम था। अब इस मामले की शिकायत भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के पास गई तो राज्य सरकार जांच की बात कर रही है।
इस मामले में एक अहम बात यह भी है कि उत्तराखंड स्वास्थ्य महकमे के अफसर निजी लैब्स को जांच का ठेका देकर मौन हो गए। कई मामले ऐसे सामने आए जहां जांच फर्जी पाई गई। लेकिन अफसरों ने लैब्स के मालिकों पर एक्शन लेने की बजाय दिहाड़ी पर रखे गए कर्मियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर खानापूर्ति कर ली। अगर ईमानदारी से जांच की जाए तो साफ होगा कि इस मामले में अफसरों ने किस हद तक लापरवाही की। ऐसे में इन निजी लैब्स से अफसरों की मिलीभगत से भी इंकार नहीं किया जा सकता।