1867 में एक कानून बना। नाम था गंगा टोल एक्ट। इसमें उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद से बिहार के दानापुर के बीच गंगा नदी में नाव चलाने और फेरी लगाने पर बारह आना टोल देने का प्रावधान था। 150 साल बाद यह कानून खत्म होने की राह पर है। इस कानून सहित 245 पुराने और अप्रसांगिक कानूनों को निष्प्रभावी बनाने वाले दो विधेयक को मंगलवार को लोकसभा ने मंजूरी दी।
सदन में विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुए कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने पुराने और अप्रसांगिक कानून को समाप्त करने की इस पहल को 'स्वच्छता अभियान' बताया। उन्होंने कहा कि आजादी के 70 साल बाद भी अंग्रेजों के जमाने के कानून मौजूद हैं। ये ऐसे कानून हैं जो आजादी के आंदोलन को दबाने के लिए बनाए गए थे। हम उन्हें समाप्त करने की पहल कर रहे हैं।
मंत्री के जवाब के बाद सदन ने ध्वनिमत से दोनों विधेयकों को पारित कर दिया। निरसन और संशोधन विधेयक 2017 के तहत 104 और निरसन और संशोधन दूसरा विधेयक 2017 के तहत 131 पुराने कानूनों को समाप्त करने का प्रस्ताव किया गया है। प्रसाद ने कहा कि 2014 में सरकार बनने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने कार्यकाल में हर रोज एक ऐसे कानून को निष्प्रभावी बनाने की बात कही थी। सरकार ने दो सदस्यों की समिति बनाई और 1824 कानूनों को निष्प्रभावी करने की आवश्यकता लगी। सरकार अब तक 1183 ऐसे कानूनों को समाप्त कर चुकी है।
प्रसाद ने इस संबंध में 1911 के एक ब्रिटिश कालीन कानून का उदाहरण दिया जिसमें देशद्रोहियों के बैठक करने पर रोकथाम लगाने संबंधी प्रावधान था। प्रसाद ने बताया कि कई कानून राज्यों की सूची में होते हैं और केंद्र सरकार के अनुरोध पर मिजोरम, मध्य प्रदेश, केरल, राजस्थान, असम, गोवा सहित कई राज्यों ने अप्रचलित कानूनों को समाप्त करने की कार्रवाई की है।