बंगाल ने दोबारा ममता बनर्जी को चुन लिया है। उनकी निवर्तमान सरकार के खिलाफ भ्रष्टाचार और कुशासन के विपक्ष के मुद्दों को मतदाताओं ने दरकिनार कर दिया। वाममोर्चा के खिलाफ लोगों में नाराजगी बनी हुई है। हालांकि, केरल में वाममोर्चा को सत्ता ने गले लगा लिया है।
सारधा चिट फंड घोटाला, नारदा वेबसाइट सीडी कांड, राजनीतिक हिंसा, विकास योजनाओं में भ्रष्टाचार के आरोपों को विपक्ष ने जोर-शोर से उठाया। इन मुद्दों के सहारे विपक्ष, खासकर वाममोर्चा को अपने कैडरों को वापस जुटाने में मदद जरूर मिली, लेकिन मतदाताओं को वे खींच नहीं पाए। हालांकि, तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी ने चुनाव नतीजे को लेकर अपनी शुरूआती टिप्पणी में कहा- मुझे हराने के लिए सभी एकजुट हो गए थे। केन्द्र सरकार ने सुरक्षा एजेंसियों के जरिए दबाव डालने की कोशिश की। भाजपा महासचिव और बंगाल के प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि कांग्रेस के लिए बड़ा झटका है। दिल्ली और बिहार की हार के बाद भारतीय जनता पार्टी को जो झटका लगा था, वह दूर हो गया है। हालिया सफलता से मनोबल बढ़ेगा और आगामी चुनावों में लाभ होगा।
रुझानों के अनुसार, बंगाल की कुल 294 विधानसभा सीटों में से तृणमूल कांग्रेस को 210 सीटें मिलने जा रही हैं। तृणमूल कांग्रेस को 33 सीटों का फायदा हो रहा है। वाममोर्चा को महज 32 सीटों से संतोष करना पड़ रहा है। उसे लगभग 35 सीटों का नुकसान हुआ है। गठबंधन वाली सहयोगी कांग्रेस को 45 सीटें मिलने जा रही हैं। उसे तीन सीटों का फायदा हो रहा है। भारतीय जनता पार्टी को पांच सीटें मिलने का रुझान है। उसे चार सीटों का फायदा हो रहा है। जाहिर है, वाममोर्चा के साथ गठबंधन करने का फायदा कांग्रेस को मिला है। मालदा, मुर्शिदाबाद, दिनाजपुर और पूर्व मेदिनीपुर में कांग्रेस ने अपना वोट बैंक सुरक्षित रखा है।
प्राथमिक तौर पर तृणमूल कांग्रेस को 45.5 फीसद वोट मिले हैं। वाममोर्चा और कांग्रेस गठबंधन को 36.7 फीसद वोट मिले हैं। भारतीय जनता पार्टी को 10.2 फीसद मिले हैं। 2014 के लोकसभा चुनाव की तुलना में तृणमूल कांग्रेस को आठ फीसद वोट ज्यादा मिले हैं। तब वामो-कांग्रेस गठबंधन को 42 फीसद वोट मिले थे। यह गठबंधन अपना वह आंकड़ा भी नहीं छू पाया है। माकपा में प्रकाश कारात और उनके समर्थक शुरू से ही बंगाल में कांग्रेस-वाममोर्चा गठबंधन के विरोध में थे। केरल में मिली जीत और बंगाल में हुई बदहाली को लेकर माकपा ने पोलित ब्यूरो की बैठक में मंथन शुरू कर दिया है। बैठक के पहले माकपा की नेता वृंदा कारात ने टिप्पणी की है कि बंगाल में कांग्रेस के साथ गठबंधन की समीक्षा की जाएगी।
जहां तक भारतीय जनता पार्टी का सवाल है, उसने लोकसभा चुनाव की तुलना में लगभग सात फीसद वोट खोया है। लेकिन अधिकांश ऐसी सीटों पर, जहां गठबंधन के उम्मीदवार जीत सकते थे- वहां भाजपा ने अपना वोट तृणमूल कांग्रेस को सटीक तौर पर ट्रांसफर कराया है। वाममोर्चा के पारंपरिक वोटों में भाजपा ने सेंध लगाई है।
जो नतीजे आ रहे हैं, उनसे जाहिर है कि बंगाल में दोबारा सत्ता पाने की दौड़ में तृणमूल कांग्रेस ने वाममोर्चा के रिकॉर्ड की बराबरी करनी शुरू कर दी है। 1977 में वाममोर्चा की सरकार बहुमत के साथ आई थी। उसके बाद 1982 और 1987 में दो दफा वाममोर्चा ने अपनी सीटें बढ़ा ली थीं।
केरल में लेफ्ट ने कांग्रेस से सत्ता छीनी
केरल में वाममोर्चा का गठबंधन आगे चल रहा है। यहां की 140 सीटों में से कांग्रेस गठबंधन 48 पर, वाममोर्चा 81 पर, भाजपा तीन पर और अन्य आठ पर आगे चल रहे हैं। केरल में हमेशा सरकार बदलती है। इस बार वाममोर्चा गठबंधन के सत्ता में आने का अनुमान था और इस लिहाज से माकपा के नेता सक्रिय भी थे। भाजपा ने राज्य में अपना खाता खोलने के लिए पूरी ताकत झोंकी है। उसे फायदा मिलता दिख रहा है।