पूर्व विदेश मंत्री एमजे अकबर ने पत्रकार प्रिया रमानी के खिलाफ आपराधिक मानहानि का मुकदमा दायर किया था। जिस पर आज यानी बुधवार को सुनवाई करते हुए दिल्ली की एक अदालत ने रमानी को मामले से बरी कर दिया है। कोर्ट ने एमजे अकबर की याचिका को खारिज कर दी है। एडिशनल चीफ मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट रवींद्र कुमार पांडे ने दोनों पक्षों की मौजूदगी में एक ओपन कोर्ट में यह फैसला सुनाया है। कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि यौन शोषण आत्मसम्मान और आत्मविश्वास को खत्म कर देता है। आगे कोर्ट ने ये भी कहा, "किसी व्यक्ति की प्रतिष्ठा की सुरक्षा किसी के सम्मान की क़ीमत पर नहीं की जा सकती है।"
प्रिया रमानी ने एमजे अकबर के खिलाफ एक ट्वीट किया था। जिसके बाद एमजे अकबर ने दावा किया था कि इससे उनकी छवि को ठेस पहुंची है और अकबर ने रमानी के खिलाफ आपराधिक मानहानी का मामला दायर किया था। पत्रकार प्रिया रमानी ने एम जे अकबर के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए थे। बीते दिनों अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट रविंद्र कुमार ने अकबर और रमानी की दलीलें पूरी होने के बाद अपने फैसले को एक फरवरी को सुरक्षित रख लिया था।
साल 2018 में मीटू मुहिम शुरू किया गया था। जिसमें कई बड़ी-बड़ी हस्तियों ने अपने सहयोगियों और अन्य जाने-माने लोगों पर यौन-उत्पीड़न के आरोप लगाए थे। इसी मुहिम के दौरान रमानी ने अकबर पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था। जिसके बाद एमजे अकबर ने अक्टूबर 2018 में रमानी के खिलाफ उनकी छवि खराब करने का आरोप लगाते हुए शिकायत दर्ज कराई थी। मामला आने के बाद एमजे अकबर को केंद्रीय मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा। रमानी के अलावा भी कई महिलाओं ने उनपर आरोप लगाए थे। हालांकि, अकबर ने यौन उत्पीड़न के सभी आरोपों को खारिज किया था।