प्रतिबंध के कई दिनों बाद जम्मू क्षेत्र के पांच जिलों में मोबाइल फोन सेवाओं को फिर से शुरू किया गया है। बुधवार रात से डोडा, किश्तवाड़, रामबन, राजौरी और पुंछ जिलों में सेवाएं बहाल कर दी गईं।
अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को निरस्त करने के केंद्र के फैसले के बाद इस क्षेत्र में सुरक्षा चिंताओं को देखते हुए जम्मू और कश्मीर में मोबाइल फोन और इंटरनेट सेवाओं को 5 अगस्त को निलंबित कर दिया गया था।
इंटरनेट सेवाएं बंद करने पर राज्यपाल ने दिया था ये बयान
इससे पहले राज्यपाल मलिक ने अनुच्छेद 370 हटाए जाने और जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद सोशल मीडिया पर जारी अफवाहों के बाजार पर विराम लगाते हुए कहा था कि इस दौरान घाटी में किसी भी आम आदमी की जान नहीं गई है। सोशल मीडिया पर जो भी चल रहा है वह झूठ है। जहां तक घाटी में इंटरनेट को बंद किए जाने की बात है तो वह प्रशासन ने एहतियातन बंद किया है। इंटरनेट बंद होने से सरकार को इतना नुकसान नहीं है लेकिन यह सुविधा आतंकियों के लिए हथियार के तौर पर काम करेगी।
मोबाइल फोन और इंटरनेट के उपयोग पर प्रतिबंधों का बचाव करते हुए मलिक ने कहा कि यह अंकुश लगाया गया है क्योंकि इन सुविधाओं को देश के खिलाफ "एक हथियार" के रूप में दुरुपयोग किया गया।
मलिक ने कहा, “मैं कहना चाहता हूं कि लोगों को और 10 दिनों तक इंतजार करना चाहिए। हमारे लिए हर किसी का जीवन महत्वपूर्ण है। कृपया इन प्रतिबंधों के पीछे के कारणों को समझने की कोशिश करें। फोन और इंटरनेट का उपयोग कौन करता है? यह मलिक ने कहा कि हमारे द्वारा इसका बहुत कम उपयोग किया जाता है लेकिन ज्यादातर आतंकवादियों और पाकिस्तानियों द्वारा इसका गलत इस्तेमाल किया जाता है।
विपक्षी पार्टियों ने की थी आलोचना
जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 हटाए जाने के बाद से ही वहां की स्थिति को लेकर केंद्र सरकार और कुछ विपक्षी पार्टियों के बीच तनातनी देखने को मिली है। कुछ विपक्षी पार्टियों ने घाटी में मोबाइल सेवा बंद करने के निर्णय पर सबसे ज्यादा प्रतिक्रिया दी है। अनंतनाग जिले के एक युवा छात्र ने उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर कर कहा था कि पिछले 4 अगस्त के बाद से वो अपने माता-पिता से बात नहीं कर पाया है। उसने सुप्रीम कोर्ट से वहां जाने की अनुमति मांगी थी। जिन्हें अनंतनाग जाने की अनुमति अदालत से मिल गई है।