सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त कृषि समिति के सदस्य अनिल घनवट ने तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने के केंद्र सरकार के फैसले को शुक्रवार को दुर्भाग्यपूर्ण बताया।
अनिल घनवट ने न्यूज़ एजेंसी ‘पीटीआई’ से कहा, ‘‘यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा उठाया गया सबसे प्रतिगामी कदम है, क्योंकि उन्होंने किसानों की बेहतरी के बजाय राजनीति को चुना। हमारी समिति ने तीन कृषि कानूनों पर कई सुधार और समाधान सौंपे, लेकिन गतिरोध को सुलझाने के लिए इसका इस्तेमाल करने के बजाय मोदी और भाजपा (भारतीय जनता पार्टी) ने कदम पीछे खींच लिए। वे सिर्फ चुनाव जीतना चाहते हैं और कुछ नहीं।’’
अनिल घनवट ने कहा कि तीन कृषि कानून बिल पर गहन अध्ययन और दोनों पक्षों से बातचीत करके हमनें कई सुधार और समाधान सौंपे थे, लेकिन सरकार ने गतिरोध सुलझाने के लिए उन समाधानों का इस्तेमाल करने के बजाए, कानून को वापस ले लिया क्योंकि, यह फैसला पूरी तरह से राजनैतिक है, जिसका मकसद आगामी महीनों में उत्तर प्रदेश और पंजाब में चुनाव जीतना है।
पैनल के सदस्य अनिल घनवट ने कहा कि हमारी ओर से उच्चतम न्यायालय को कई सिफारिशें भेजी गई थीं, लेकिन सरकार का फैसला देखकर लगता है कि कृषि कानूनों पर भेजी गई सिफारिशों को सरकार ने पढ़ा तक नहीं। उन्होंने कहा कि इस फैसले ने खेती और उसके विपणन क्षेत्र में सभी तरह के सुधारों का दरवाजा बंद कर दिया है।
गुरु नानक जयंती के मौके पर शुक्रवार सुबह देश को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि तीन कृषि कानून किसानों के फायदे के लिए थे, लेकिन ‘‘हम सर्वश्रेष्ठ प्रयासों के बावजूद किसानों के एक वर्ग को राजी नहीं कर पाए।’’