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पर्यावरण पर विकसित देशों को आईना दिखाया मोदी ने

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विकसित देशों की आलोचना करते हुए कहा है कि जलवायु परिवर्तन पर भारत को भाषण देने वाले देश स्वच्छ ऊर्जा के लिए उसे परमाणु ईंधन देने से इंकार कर देते हैं। हालांकि प्रधानमंत्री ने जलवायु परिवर्तन से लड़ने के लिए देश की प्रतिबद्धता दोहराई।
पर्यावरण पर विकसित देशों को आईना दिखाया मोदी ने

एक ऐसे समय में जब दिल्ली समेत देश के महानगरों में प्रदूषण खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है और इसे लेकर देश और विदेश दोनों जगह चिंता जताई जाने लगी है, मोदी ने कहा कि भारत ने सौर एवं पवन उर्जा समेत स्वच्छ उर्जा के क्षेत्र में कई कदम उठाए हैं। देश को धरती के बढ़ते तापमान की समस्या का निदान ढूंढ़ने में दुनिया का नेतृत्व करना चाहिए।

पश्चिमी देशों ने देश की राजधानी समेत महानगरों में वायु के अस्वास्थ्यकर होने पर चिंता जताई है। राजधानी दिल्ली को सबसे अधिक प्रदूषित शहरों में से एक बताया गया है और कई दूतावास एवं अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठानों ने अपने यहां अपने वायु शोधक लगाए हैं।

विभिन्न राज्यों के पर्यावरण मंत्रियों एवं अधिकारियों के एक सम्मेलन को संबोधित कर रहे मोदी ने वैश्विक परमाणु समुदाय से भारत पर प्रतिबंध में ढील देने की अपील की ताकि वह वृहद स्तर पर स्वच्छ परमाणु उर्जा का उत्पादन कर सके। मोदी ने कहा, जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में भारत को एक वैश्विक नेतृत्वकर्ता होना चाहिए। दूसरों द्वारा तय मानकों को बाध्य होकर अपनाने के बजाय भारत को जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में विश्व का नेतृत्व करना चाहिए। मोदी ने कहा, विडंबना तो देखिए। विश्व जलवायु पर भाषण देता है लेकिन यदि हम उन्हें कहते हैं कि हम परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में आगे बढ़ना चाहते हैं, क्योंकि यह पर्यावरण संरक्षण का एक अच्छा मार्ग है और जब हम उनसे परमाणु ऊर्जा के लिए जरूरी ईंधन उपलब्ध करवाने के लिए कहते हैं, तो वे इंकार कर देते हैं। उन्होंने इस बात का खंडन किया कि भारत धरती के बढ़ते तापमान (ग्लोबल वार्मिंग) और जलवायु परिवर्तन के विरूद्ध संघर्ष में बाधा खड़ी कर रहा है और कहा कि पर्यावरण की रक्षा करना हमारी परंपरा रही है।

उन्होंने कहा, हर कोई यह मानने लगा है कि दुनिया जलवायु परिवर्तन को लेकर चिंतित है लेकिन भारत बाधाएं खड़ी कर रहा है। सच्चाई यह है कि हम एक ऐसी संस्कृति में पले-बढ़े हैं, जहां प्रकृति को ईश्वर की तरह पूजा जाता है और प्रकृति की रक्षा को मानवता से जोड़कर देखा जाता है। प्रधानमंत्री ने कहा, लेकिन कुछ वजहों से हम अपने विचार रखने में संकोच महसूस करते हैं और इन वजहों में शायद एक वजह यह भी है कि हम सदियों तक दूसरों के शासन के अधीन रहे। जब तक हम अपने आप में विश्वास नहीं जगा लेते, हम इस समस्या से निपटने में सक्षम नहीं हो पाएंगे।

प्रधानमंत्री ने कहा कि आर्थिक विकास और पर्यावरण संरक्षण के बीच संबंध अंतर्विरोधी नहीं है और दोनों साथ-साथ चल सकते हैं। पर्यावरण क्षरण को रोकने में भारत की विश्वसनीयता पर प्रश्न खड़ा वालों पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा, भारतीयों ने हमेशा प्रकृति का संरक्षण किया है और आज भी,  वैश्विक स्तर पर भारतीयों का प्रति व्यक्ति कार्बन उत्सर्जन सबसे कम है।

सरकार की महत्वाकांक्षी स्वच्छ गंगा पहल का जिक्र करते मोदी ने कहा कि राज्य सरकारों को इस अभियान के लक्ष्य के साथ कोई भी समझौता नहीं करना चाहिए। उन्होंने बैंकों से अपील की कि वे बहिस्राव एवं दूषित जल के शोधन संयंत्रों को लगाने के लिए कम दरों पर ऋण उपलब्ध करवाएं। मोदी ने कहा, यदि हम 2500 किलोमीटर के दायरे में गंगा में प्रदूषण पर सफलतापूर्वक रोक लगा देते हैं, तो हम लोग लोगों में यह विश्वास जगा सकते हैं कि हम सामान्य प्रयासों के जरिये प्रदूषण को रोक सकते हैं। उन्होंने उर्जा के संरक्षण के लिए पूर्णिमा की रात को सड़क की लाइटें बंद करने और सप्ताह में कम से कम एक बार साइकिल के इस्तेमाल की सलाह दी। उन्होंने बड़े शहरों में प्रदूषण के स्तर की निगरानी के लिए राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता सूचकांक भी शुरू किया।

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