फाइल को इस सवाल के साथ वापस भेजा गया कि क्या कुलपति को उन पर लगे आरोपों पर व्यक्तिगत रूप से सुनवाई का मौका नहीं देना कानूनी रूप से उचित है? राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के कार्यालय ने इस मामले पर गौर करने के बाद पिछले सप्ताह फाइल वापस करते हुए एचआरडी मंत्रालय से यह देखने को कहा कि दत्तागुप्ता को आरोपों पर उनका पक्ष बताने का मौका नहीं देना कानूनी रूप से उचित है या नहीं।
यह दूसरी बार है जब राष्ट्रपति कार्यालय ने फाइल लौटाने के साथ मंत्रालय के इस प्रस्ताव को खारिज किया कि दत्तागुप्ता का ई-मेल पर भेजा गया इस्तीफा स्वीकार हो। इससे पहले सितंबर में फाइल वापस भेजते हुए मंत्रालय से उन पर लगे आरोपों पर कानूनी राय जानने के लिए कहा था। मंत्रालय ने विधि मंत्रालय से राय मांगी थी और राष्ट्रपति कार्यालय को फाइल वापस की थी। अगर दत्तागुप्ता को बर्खास्त करने का आदेश दिया जाता है तो यह पहली बार होगा जब सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों के विजिटर राष्ट्रपति द्वारा किसी कुलपति को हटाया जाएगा। मंत्रालय ने दत्तागुप्ता की फाइल राष्ट्रपति को इसलिए भेजी थी क्योंकि उनपर वित्तीय और प्रशासनिक गड़बडि़यों का आरोप है और मंत्रालय जून में भेजे कारण बताओ नोटिस पर दत्तागुप्ता के जवाब से संतुष्ट नहीं है।