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बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ का संदेश इस बेटी के लिए नहीं है

दिल्लीवासी अपने घरों और दफ्तरों में बैठकर गर्म मौसम को लेकर हाय तौबा कर रहे थे तब उसी भीषण गर्मी में हजारों मील दूर हैदराबाद से आई विलक्षण प्रतिभा की धनी आठ साल की नन्ही नीरजा अपने 83 साल के नाना के साथ संसद मार्ग पर इस आस में दिल्ली के नताओं के यहां दस्तक देने की कोशिश कर रही थी कि उसे अपने घर सिकंदराबाद के एक अच्छे स्कूल में दाखिला मिल सके।
बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ का संदेश इस बेटी के लिए नहीं है

यह वही नीरजा निधि गुप्ता है जो अपनी विलक्षण स्मरण शक्ति की वजह से कुछ ही समय पहले देश के तमाम बड़े अखबारों की सुर्खियां बटोर चुकी है। कंम्प्यूटर की गति से भी तेज चलने वाला नीरजा का दिमाग पलक झपकते ही देश के किसी भी निर्वाचन क्षेत्र के प्रतिनिधि का नाम बता सकता है। नीरजा को सामान्य ज्ञान एवं समसामयिक घटनाओं के 1300 से अधिक प्रश्नों के उत्तर जबानी याद हैं।

नीरजा के नाना के कांपते हाथों को तलाश है ऐसे रास्ते या सहारे की जो उनकी नातिन का अच्छी शिक्षा प्राप्त करने का सपना पूरा करने में मदद कर सके। अपनी फरियाद को कागज के टुकड़े पर लिख नीरजा और उसके नाना पिछले दो महीने से कई अधिकारियों और नेताओं के दरवाजे खटखटा चुके हैं।

नीरजा के नाना नारायण चाहते हैं कि मानव संसाधन एवं विकास मंत्री स्मृति ईरानी तक वह अपनी बात पहुंचाना चाहते हैं। ताकि वह उनकी नातिन को उचित सहायता मुहैया कराने में मदद करें। नीरजा के नाना नारायण गुप्ता ने रुंधे हुए गले से बताया कि उचित शिक्षा के लिए दर ब दर की ठोकरें खा रही नीरजा के पिता और मां का तलाक उस समय हो गया था जब वह महज तीन महीने की थी।

अभिभावकों के अलगाव के कारण अभाव की जिंदगी जी रही और एक छोटे से स्कूल से किसी तरह शिक्षा प्राप्त कर रही नीरजा की मासूमियत खो गई है। वह चाहते हैं कि अब उसकी प्रतिभा भी ऐसे न खो जाए। नीरजा के बूढ़े नाना को उम्मीद नजर है कि सरकार की मदद मिलने के बाद नीरजा सफलता के नए आयाम स्थापित करेगी।

तीसरी कक्षा में पढ़ने वाली उनकी नातिन को वह जैसे तैसे छोटे से स्कूल में पढ़ा रहे हैं। उनके पास अपनी नातिन की पढाई का खर्च वहन करने के लिए धन नहीं है इसलिए वह सिंकदराबाद के केंद्रीय विद्यालय में उसका दाखिला कराना चाहते हैं।

वह  हैदराबाद से आकर पिछले दो महीने से दिल्ली के गुरुद्वारों में रह रहे हैं। किसी भी गुरुद्वारे में दो दिन से अधिक रुकने की अनुमति नहीं मिलती। दो दिन एक गुरुद्वारे में रुकने के बाद वह किसी दूसरे गुरुद्वारे की शरण मांगते हैं क्योंकि यही ऐसी जगह है जहां खाने-पीने के लिए उन्हें पैसे नहीं देने पड़ते।

नारायण ने कहा कि जब देश में बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ का अभियान चल रहा है तो ऐसे में सरकार नीरजा जैसी बेटियों की मदद करके देश की बेटियों को शिक्षित करने का यह संकल्प असल मायने में पूरा कर सकती है।

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