रेलवे द्वारा प्रवासी श्रमिकों और छात्रों से वसूले जा रहे किराए को लेकर केंद्र ने सफाई दी है। केंद्र सरकार ने कहा है कि उसने कभी इन यात्रियों से पैसे लेने की बात नहीं कही है। किराये का 85% रेलवे वहन कर रहा है। बाकी 15% किराया राज्य सरकारें दे रही हैं। यह बात स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने अपने दैनिक प्रेस कॉन्फ्रेंस में सोमवार को कही। बता दें, इससे पहले भाजपा के प्रवक्ता संबित पात्रा ने दावा किया था कि रेलवे श्रमिक स्पेशल के 85 फीसदी रियायत वाले टिकट राज्यों को दे रही है और राज्यों को मात्र 15 फीसदी किराया अदा करना है।
बता दें, लॉकडाउन का तीसरा चरण अगले 17 मई तक लागू है। इसमें ग्रीन और ऑरेंज जोन में कुछ छूट दी गई है। लॉकडाउन की वजह से प्रवासी श्रमिक बड़ी तादाद में देश के अलग-अलग हिस्सों में फंसे हुए हैं। कई राज्यों की मांग के बाद केंद्र ने गाइडलाइन जारी कर कुछ शर्तों के साथ श्रमिकों और छात्रों को ट्रेन से ले जाने की मंजूरी दी है। लेकिन लाखों की संख्या में लोगों के फंसे होने के कारण अब यह राज्यों के लिए परेशानी का सबब बन रहा है।
राज्यों के अनुरोध पर विशेष ट्रेनें चलाने की अनुमति
लव अग्रवाल ने कहा कि राज्यों से दिए गए अनुरोध के आधार पर विशेष ट्रेनें चलाने की अनुमति दी गई है। भारत सरकार या रेलवे ने श्रमिकों से शुल्क लेने की बात नहीं की है। उन्होंने कहा कि परिवहन लागत का 85% रेलवे द्वारा वहन किया जाना है, जबकि राज्यों को लागत का 15 फीसदी वहन करना है। लव अग्रवाल ने आगे कहा, राज्यों द्वारा अनुरोध के तहत सीमित संख्या में फंसे हुए प्रवासी मजदूरों को ही ले जाया जाना है।
सरकारी सर्कुलर में रियायत का कोई उल्लेख नहीं
लेकिन रेलवे बोर्ड और केंद्रीय गृह मंत्रालय के सर्कुलर टिकट चार्ज के बारे में अलग ही बात करते हैं। रेलवे बोर्ड ने अपने सर्कुलर में कहीं भी 85 फीसदी रियायत का उल्लेख नहीं किया है। उसने कहा है कि राज्य सरकार के अधिकारियों को टिकटें दी जाएंगी। वे यात्रियों से किराया वसूलेंगे और पूरी रकम रेलवे को जमा करवाएंगे। गृह मंत्रालय ने भी एक मई के अपने सर्कुलर में रियायत का कोई उल्लेख नहीं किया है, बल्कि उसने टिकट की बिक्री की बात कही है। उसका कहना है कि टिकट बिक्री के बारे में गाइडलाइन रेल मंत्रालय जारी करेगा।
सोनिया गांधी और सुब्रमण्यम स्वामी ने केंद्र को घेरा
इससे पहले कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी ने प्रवासी मजदूरों को अपने गृह राज्य छोड़ने के लिए रेलवे की ओर से किराया वसूलने की कड़ी आलोचना की। सोनिया गांधी की ओर से जारी किए गए बयान में कहा गया कि प्रदेश कांग्रेस कमिटी की हर इकाई सभी जरूरतमंद मजदूरों की घर वापसी के लिए रेल टिकट का खर्च देगी। सोनिया गांधी ने केंद्र की मोदी सरकार पर हमला करते हुए कहा, ''मज़दूर राष्ट्रनिर्माण के दूत हैं। हम विदेशों में फंसे भारतीयों को अपना कर्तव्य समझकर मुफ़्त में वापस ला सकते हैं, गुजरात में केवल एक कार्यक्रम में सरकारी ख़जाने से 100 करोड़ रुपए खर्च कर सकते हैं, रेल मंत्रालय कोरोना फंड में 151 करोड़ रुपए दे सकता है तो फिर इन मज़दूरों को मुफ़्त में घर क्यों नहीं पहुंचाया जा सकता है?'' भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने भी मोदी सरकार पर हमला बोला। स्वामी ने प्रवासी मज़दूरों को उनके गृह राज्य छोड़ने के लिए रेल किराया वसूलने की तीखी आलोचना की। सुब्रमण्यम स्वामी ने ट्वीट कर कहा, ''भारत सरकार की यह कैसी संवेदनहीनता है कि भूखे-प्यासे प्रवासी मजदूरों से रेल किराया वसूल रही है! जो भारतीय विदेशों में फंसे थे उन्हें फ्लाइट से मुफ्त में वापस लाया गया। अगर रेलवे अपने फैसले से नहीं हटती है तो पीएम केयर्स के पैसे का इस्तेमाल क्यों नहीं किया जा रहा है।''