सूरत के एक अस्पताल में अपना जांच कराने पहुंचे उस व्यक्ति के बारे में जानकारी से चिकित्सक हतप्रभ रह गए। किसी भी ब्लड ग्रुप का उनका रक्त नहीं था। बाद में चिकित्सकों ने विश्व स्वास्थ्य संगठन की शाखा को उस व्यक्ति के खून का नमूना भेजा, जिसने इसे नया ब्लड ग्रुप घोषित किया। इस ब्लड ग्रुप को लेकर और भी शोध चल रहे हैं।
उस व्यक्ति का परिचय अभी गोपनीय रखा गया है। उस व्यक्ति को न तो किसी का खून चढ़ाया जा सकता है और न ही वह व्यक्ति किसी को अपना रक्त दान कर सकता है। भारत के प्रथम दो अक्षर और उस व्यक्ति के नाम के प्रथम दो अक्षर मिलाकर नए इस ब्लड ग्रुप का नाम ‘INRA’ रखा गया है।