नए कृषि कानून के खिलाफ देशभर के किसान संगठन केंद्र के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। करीब 25 दिनों से ये आंदोलन दिल्ली की सड़कों पर चल रहा है। पहले विपक्ष मोदी सरकार को सूट-बूट की सरकार कहती रही है। लेकिन, नए कृषि कानून के बाद अब कॉर्पोरेट सेक्टर किसानों के निशाने पर है। वहीं, सोशल मीडिया पर भी लोगों ने भी अडाणी और अंबानी ग्रुप के खिलाफ मुहिम छेड़ दिया है।
दरअसल, नए कृषि कानून के आने के बाद पंजाब और हरियाणा समेत अन्य राज्यों के किसानों को डर है कि उनकी जमीन को अडाणी ग्रुप सरीखे अन्य कॉर्पोरेट सेक्टर हथिया लेगी। इसी बात को लेकर। किसान डरे हुए हैं और लगातार केंद्र व कॉर्पोरेट सेक्टर के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं। अब अडाणी ग्रुप को विज्ञापन के जरिए सफाई देनी पड़ी है। रविवार क दिए अपने विज्ञापन में ग्रुप की तरफ से लिखा गया है, “इस दुष्प्रचार के खिलाफ आवाज उठाइए।“
आगे विज्ञापन के जरिए अडाणी ग्रुप ने दावा किया है कि किसानों के बीच भ्रम फैल रहे हैं।
अडाणी ग्रुप ने दावा किया है कि इन झूठ को किसानों में फैलाया जा रहा है...
>> अडाणी किसानों से सीधे अनाज खरीदता है और जमाखोरी को बढ़ावा देता है।
>> अडाणी कॉन्ट्रैक्टर फार्मिंग के माध्यम से किसानों का शोषण करता है।
>> अडाणी बड़े पैमाने पर कृषि संबंधी भूमि का अधिग्रहण कर रहा है।
इसकी सफाई में अडाणी ग्रुप ने कहा है...
>> अडाणी ग्रपु कभी भी किसानों से जमीन नहीं खरीदते। हम केवल अनाज को संरक्षित करने हेतु अपनी सेवाएं भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) को प्रदान करते हैं। एफसीआई को अपनी सेवाएं देने वाली अन्य कंपनियां भी हैं।
>> हम इंफ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में काम करते हैं और हमारा कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग से कोई संबंध नहीं है। जो आधुनिक वर्टिकल अन्न भंडार हमने एफसीआई के लिए बनाए हैं वे केवल कनक (गेहूं) को संरक्षण प्रदान करने हेतु ही बने हैं।
>> हमारा कृषि संबंधी भूमि अधिग्रहण का कोई उद्देश्य नहीं है। जो भी आवश्यक भूमि हमारे द्वारा अधिग्रहित की गई है वो केवल एफसीआई के गेहूं को आधुनिक एवं वैज्ञानिक तरीके से संरक्षित रखने हेतु अन्न भंडार गृहों के निर्माण के लिए किए गए हैं।