नए कृषि कानून को लेकर देशभर के किसान संगठन दिल्ली में करीब 25 दिनों से डटे हुए हैं। इस बीच केंद्र की तरफ से लगातार सफाई दी जा रही है कि ये कानून किसानों के हित में है। वहीं, प्रधानमंत्री अपने अधिकांश संबोधन में ये कह चुके हैं कि नया कृषि कानून नई शताब्दी की मांग है और ये किसानों के फायदे के लिए हैं। अब किसानों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह को खुला खत लिखा है।
केंद्र का ये भी कहना है कि विपक्ष किसानों को गुमराह कर रही है। इस बाबत भी किसानों ने अपने पत्र में केंद्र के खिलाफ नाराजगी जाहिर की है। दरअसल, केंद्र नए कृषि कानूनों में संशोधन की बात कह रही है जबकि किसान संगठन इसे वापस लेने की मांग कर रहे हैं।
अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति की ओर से पीएम मोदी और कृषि मंत्री तोमर को ये पत्र लिखा गया है। दरअसल, तोमर ने किसानों को लेकर भी बीते दिनों एक खुला पत्र लिखा था। इसी के जवाब में किसानों ने पत्र लिखा है।
पीएम को लिखे पत्र में किसानों ने लिखा, बड़े खेद के साथ आपसे कहना पड़ रहा है कि किसानों की मांगों को हल करने का दावा करते-करते, जो हमला दो दिनों से आपने किसानों की मांगों और आंदोलन पर करना शुरू किया है वो दिखाता है कि आपको किसानों से कोई सहानुभूति नहीं है। उनकी समस्याओं को हल करने का इरादा शायद बदल चुके हैं। आपके द्वारा कही गईं सभी बातों का कोई आधार नहीं है।
आगे पत्र में किसान संगठनों ने पीएम मोदी द्वारा मध्यप्रदेश के किसानों को संबोधित करते हुए जो बाते कही थी उसे भी किसानों ने आड़े हाथे लिया। पत्र में किसानों ने कहा, आपने मध्य प्रदेश के रायसेन जिले में आयोजित किसानों के सम्मेलन में जोर देकर कहा था कि किसानों को विपक्षी दल गुमराह कर रहे हैं। वे कानूनों के प्रति गलतफहमी फैला रहे हैं, इन कानूनों को लम्बे अरसे से विभिन्न समितियों में विचार करने के बाद और सभी दलों द्वारा इन परिवर्तनों के पक्ष मे राय रखे जाने के बाद ही अमल किया गया है। आपकी ये गलत धारणाएं और बयान गलत जानकारियों से प्रेरित हैं और आपको सच पर गौर करना चाहिए।
वहीं, कृषि मंत्री को संबोधित करते हुए किसानों ने कहा कि देश के कृषि मंत्री होने के नाते लोगों को आपसे ये उम्मीद थी कि 24 दिनों से चल रहे अनिश्चितकालीन आन्दोलन में शहीद हुए 32 किसानों को कम-से-कम आप श्रद्धांजलि देंगे, लेकिन आपने संवेदनहीनता की पराकाष्ठा दिखाते हुए उनका जिक्र करना भी आवश्यक नहीं समझा। इसलिए जिन सुधारों की मांग किसान कर रहे हैं उन पर अमल करें।
पीएम मोदी को किए संबोधन में किसान संगठनों ने अपने पत्र में कहा कि उससे भी ज्यादा गम्भीर बात ये है कि जो बातें आपने कही हैं वो देश और समाज में किसानों की जायज मांगों, जो सिलसिलेवार ढंग से पिछले 6 महीनों से आपके समक्ष लिखित रूप से रखी जाती रही हैं। देश भर में किए जा रहे शांतिपूर्वक आंदोलन के प्रति अविश्वास की स्थिति पैदा कर सकती हैं। इसी कारण से हम बाध्य हैं कि आपको इस खुले पत्र के द्वारा अपनी प्रतिक्रिया भेजें ताकि आप इस पर बिना किसी पूर्वाग्रह के गौर कर सकें।