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केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह कैसे निपटेंगे इन अहम मुद्दों से

भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह ने शनिवार को नई दिल्ली में नए केंद्रीय गृह मंत्री के रूप में...
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह कैसे निपटेंगे इन अहम मुद्दों से

भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह ने शनिवार को नई दिल्ली में नए केंद्रीय गृह मंत्री के रूप में कार्यभार ग्रहण कर लिया। केंद्रीय मंत्री के तौर पर अमित शाह के सामने कई चुनौतियों हैं। उन्हें आंतरिक सुरक्षा, केंद्र-राज्य संबंध, अवैध प्रवासियों और जम्मू कश्मीर के मुद्दे पर विशेष ध्यान देना होगा।

नॉर्थ ब्लॉक में कार्यभार ग्रहण किया

नॉर्थ ब्लॉक स्थित गृह मंत्रालय में अमित शाह की अगवानी केंद्रीय गृह सचिव राजीव गौबा और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने की। गृह मंत्रालय पहुंचने के बाद शाह ने वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक करके मौजूदा मुद्दों के बारे में विचार विमर्श किया। गृह मंत्रालय में नियुक्त दो राज्य मंत्रियों जी. के. रेड्डी और नित्यानंद राय ने भी शनिवार को कार्यभार ग्रहण किया।

आंतरिक सुरक्षा सबसे अहम मसला

जहां तक नए गृह मंत्री की चुनौतियों का सवाल है तो उन्हें सबसे पहले आंतरिक सुरक्षा के मसले से निपटना होगा। आंतकवाद को खत्म करने के लिए पिछली मोदी सरकार ने काफी कड़ा रुख अपनाया था। कड़े फैसलों के लिए मशहूर शाह इस रुख को और आगे बढ़ा सकते हैं।

क्या अजीत डोवाल की भूमिका बदलेगी

पिछली सरकार में आंतरिक सुरक्षा के मामले में गृह मंत्री राजनाथ के साथ राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवाल की अहम भूमिका रहती थी। आमतौर पर डोवाल के द्वारा लिए गए फैसले पर राजनाथ हामी भर देते थे। नई सरकार में गृह मंत्रालय के फैसलों में अमित शाह की भूमिका ज्यादा अहम हो सकती है। सबसे बड़ी बात यह कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बहुत करीब होने के कारण उनके साथ और ज्यादा तालमेल रहेगा। जब मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तब भी शाह राज्य के गृह मंत्री रहे थे। दोनों के बीच कामकाज संबंधी तालमेल पहले से ही बहुत अच्छा है।

कश्मीर पर उनके नजरिये पर सबकी नजरें

सबसे ज्यादा उत्सुकता इस बात को लेकर है कि नई सरकार और खासकर अमित शाह गृह मंत्री के तौर पर संविधान के अनुच्छेद 35 ए और 370 के बारे में कैसा रुख अपनाते हैं। उन्होंने चुनावी रैलियों में जोर देकर कहा था कि 35 ए देश के अस्थायी निवासियों और राज्य की महिलाओं के प्रति अन्याय करती है। इस धारा के तहत राज्य के स्थायी और अस्थायी निवासियों के बीच भूमि के स्वामित्व, रोजगार और कुछ अन्य मामलों में अंतर करने का सरकार को अधिकार मिला है। शाह ने अनुच्छेत 35 ए और विशेषाधिकार देने वाले अनुच्छेद 370 को हटाने की बात बार-बार उठाई थी। भाजपा ने अपने संकल्प पत्र में इन व्यवस्थाओं को हटाने का उल्लेख किया है। लेकिन जब भी इन अनुच्छेदों को हटाने की बात उठी है, जम्मू कश्मीर के लोगों और नेताओं की ओर से कड़ी प्रतिक्रिया आई है। इन व्यवस्थाओं में बदलाव और राज्य में आतंकवाद से निपटने के लिए शाह की नीतियों का भारत-पाकिस्तान के आपसी रिश्तों पर भी गहरा असर पड़ेगा।

अवैध प्रवासियों के मुद्दे पर होगा उनकी विचारधारा का असर

अवैध प्रवासियों का भी ऐसा मुद्दा है जो अमित शाह की प्राथमिकता में रह सकता है। उन्होंने रैलियों में इस मुद्दे को जोरों पर उठाया है। उन्होंने रैलियों में कहा था कि अवैध रूप में देश में रह रहे लोग हमारे लोगों के संसाधनों का इस्तेमाल कर रहे हैं। इससे गरीबों को अनाज नहीं मिल पाता है और उनकी नौकरियों पर भी बाहरी लोग कब्जा कर लेते हैं। शाह की कार्यप्रणाली पर उनकी कार्य शैली और विचारधारा का भी असर पड़ेगा। यह देखना दिलचस्प होगा कि वह इस विवादित मसले पर कैसे रास्ता निकालते हैं।

पीएम के बाद अब अमित शाह नंबर दो पर

लोकसभा में चुनाव में जोरदार जीत हासिल करने में अमित शाह की भूमिका से इन्कार नहीं किया जा सकता है। यही वजह है कि नरेंद्र मोदी की नई सरकार में उन्हें प्रधानमंत्री के बाद सबसे अहम पद से नवाजा गया है। पिछली सरकार में नंबर दो की भूमिका में रहे राजनाथ को गृह मंत्रालय न देकर रक्षा मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई है। इस तरह स्पष्ट हो जाता है कि नई सरकार में अब राजनाथ का नंबर दो का स्थान अमित शाह को मिल गया है। वैसे भी केंद्र सरकार के चार सबसे अहम मंत्रालयों में गृह मंत्रालय सबसे ऊपर आता है। यही वजह है कि जब भी देश में उप प्रधानमंत्री बनाया गया, उसे गृह मंत्रालय ही मिला है। यह परंपरा आजादी के समय से ही चली जा रही है, जब सरदार वल्लभ भाई पटेल को प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के बाद नंबर दो के तौर पर न सिर्फ गृह मंत्री बल्कि उप प्रधानमंत्री बनाया गया था।

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