सुप्रीम कोर्ट ने आज जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय यूनियन (जेएनएसयू) के अध्यक्ष कन्हैया कुमार की जमानत याचिका पर सुनवाई करने से मना कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने उनके वकीलों से कहा कि वे हाईकोर्ट जाकर जमानत के लिए प्रयास करें। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने जो कहा वह उसके इस कदम के पीछे की मंशा को साफ करता है, लोगों को यह नहीं सोचना चाहिए कि केवल सुप्रीम कोर्ट ही सुरक्षा मुहैया करा सकता है, बाकी अदालत नहीं।
यानी अब मामला पटियाला कोर्ट से निकल कर सुप्रीम कोर्ट पहुंचने के बजाय हाई कोर्ट में पहुंचा है। सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर कहा कि अगर हम सीधे हस्तक्षेप करेंगे तो यह खतरनाक दृष्टांत होगा। न्यायमूर्ति जे. चेलमेश्वर और न्यायमूर्ति एएम सप्रे की पीठ ने कहा, यदि सुप्रीम कोर्ट इस पर विचार करेगा तो यह देश में सभी आरोपियों के लिए एक दृष्टांत बन जाएगा। जब भी राजनीतिक लोगों या प्रसिद्ध लोगों या अन्य से संबंधित संवेदनशील मामले होंगे तो क्या होगा। । सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को अलग से मामला नहीं समझा जा सकता, याद रखिए यह इस तरह का एकमात्र मामला नहीं है।
इससे कन्हैया को छुड़ाने के अभियान में लगे लोगों को गहरी निराशा हुई, क्योंकि उन्हें पूरी उम्मीद थी कि आज सुप्रीम कोर्ट उनके पक्ष में फैसला देगा। इस बारे में जेएनएसयू की उपाध्यक्ष शेहला मसूद ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से उन्हें गहरी निराशा हुई है। जिस तरह से पटियाला हाउस में कन्हैया, अध्यापकों और पत्रकारों पर हमला हुआ था, उसके बाद कन्हैया की सुरक्षा के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया था। लेकिन अब आगे के रास्ते तलाशे गए थे।
उधर, कन्हैया को तथाकथित रूप से देशद्रोही नारे लगाने वाले वीडियो की असलीयत भी सामने आ गई है। अब टीवी न्यूज चैनलों पर दिखाया जा रहा है कि आजादी की मांग करने वाले नारे एक बड़े क्रांतिकारी गीत का हिस्सा हैं, जिसमें सांमतवाद, जातिवाद, पूंजीवाद आदि से आजादी की मांग की जा रही है। इसी बीच जेएनयू के समर्थन में दुनिया भर से आवाजें भी बढ़ रही हैं। अमेरिका के बोस्टन विश्वविद्यालय से कन्हैया की रिहाई की मांग उठी।