उन्होंने कहा, सभी व्यापारी जिन्हें मैं जानता हूं और जिन्होंने मई 2014 में मोदीजी की जीत का जश्न मनाया था, वे अब नाखुश हैं। नोटबंदी की वजह से धनी लोगों में काफी नाखुशी है।
उन्होंने कहा, धनी वर्ग में यह नाखुशी मतदाताओं के कुछ हिस्से को पृथक करेगी, जिन्होंने मई 2014 में मोदी के पक्ष में मतदान किया था।
बारू यहां डिमॉनेटाइजेशन-ए गैंबल आर ए गेम चेंजर विषय पर एक संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे। इस संगोष्ठी का आयोजन टिप्लिकेन कल्चरल अकादमी और कस्तूरी श्रीनिवासन लाइब्रेरी ने किया था।
उन्होंने कहा कि नोटबंदी की सफलता की असली परीक्षा उत्तर प्रदेश और पंजाब में विधानसभा चुनाव के नतीजे बताएंगे। बारू ने कहा, अगर भाजपा अच्छा प्रदर्शन करती है, भले ही उसे बहुमत नहीं भी मिला तो मोदी कह सकते हैं कि मैं सफल रहा हूं। लेकिन अगर वे बुरा प्रदर्शन करते हैं तो भारतीय राजनीति में एक नयी गति आएगी।
बारू ने कहा, पिछले दो महीने में जो हमने देखा है :नोटबंदी की घोषणा के तुरंत बाद: कि यह आर्थिक जुआ है और हमें इस जुए का परिणाम देखना बाकी है। क्या यह एक आर्थिक गेम चेंजर था। यह बड़ा सवाल होगा। उन्होंने कहा कि नोटबंदी को उन्होंने इसलिए आर्थिक जुआ कहा क्योंकि इसके पहले कोई मिसाल नहीं थी।
बारू ने कहा कि भारत में कभी कोई ऐतिहासिक स्थिति नहीं थी जब अतीत में जर्मनी या जिम्बाब्वे की तरह नोटबंदी की गई थी। उन्होंने कहा, नोटबंदी जर्मनी और जिम्बाब्वे जैसे विभिन्न देशों में की गई है। लेकिन ये एेसे हालात हैं, जहां उनकी अर्थव्यवस्था अव्यवस्था और संकट में थी।
बारू ने कहा, जब आप संकट में होते हैं तो आप बेधड़क कदम उठाते हैं। लेकिन जब भारतीय अर्थव्यवस्था सात फीसदी की दर से बढ़ रही थी और जब हमारी अर्थव्यवस्था सामान्य तरीके से काम कर रही थी तो यह :नोटबंदी: की गई। उन्होंने कहा कि जो भी अर्थशास्त्री नोटबंदी की बात कर रहे थे, जो भी वे कह रहे थे, उसका कोई ऐतिहासिक आधार नहीं था। भाषा