सूचना और प्रसारण मंत्रालय अपनी विभिन्न फिल्म इकाइयों का विलय करने पर विचार कर रहा है। उसका मकसद इन विभागों की कार्यकुशलता में इजाफा करना है।
एक अधिकारी के मुताबिक, मंत्रालय का यह कदम पुर्नगठन प्रक्रिया का हिस्सा है। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने अपने तीन विभागों डीएवीपी, क्षेत्रीय प्रचार निदेशालय और गीत एवं नाटक प्रभाग का विलय कर दिया है। अब मंत्रालय नेशनल फिल्म डवलपमेंट क्राप (एनएफडीसी), चिल्ड्रंर्स फिल्म सोसायटी ऑफ इंडिया (सीएफएसआई), डायरेक्टोरेट ऑफ फिल्म फेस्टीवल्स (डीआईएफएफ) और फिल्म डिवीजन आफ इंडिया के विलय की योजना बना रहा है।
एऩएफडीसी की वित्तीय सहायता से तीन सौ से ज्यादा फिल्म बनाई जा चुकी हैं। यह संस्था पीपीपी के तहत फिल्मों के निर्माण में फिल्ममेकर के सह-निर्माता के तौर पर काम करती है। सीएफएसआई बच्चों के मुद्दों पर काम करती है तो फिल्म डिवीजन डाक्यूमेंट्री, लघु फिल्में और कृत्रिम फिल्में बनाती हैं। डीआईएफएफ देश में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय फिल्म फेस्टीवल और राष्ट्रीय फिल्म अवार्ड समारोह का आयोजन करती है। विलय का मकसद कार्यकुशलता में इजाफा करना और काम करने के दौरान ओवरलेपिंग को रोकना है।
मालूम हो कि पिछले दिनों जिन विभागों का विलय किया गया है उनके ऊपर एक नया विभाग होगा जिसका नाम ब्यूरो ऑफ आउटरीच एंड कम्यूनिकेशन (बीओसी) होगा गीताकृष्णन कमेटी ने वाजपेयी सरकार में भी मंत्रालय के यूनिटों को बंद करने या आपस में विलय करने का सुझाव दिया था। वाजपेयी सरकार में गीताकृष्णन कमेटी में यूनिटों के बंटवारे को विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने काफी मशक्कत के बाद बचा लिया था।