देश में कोरोना की दूसरी लहर के शुरुआत में मेडिकल ऑक्सीजन की किल्लत देखने को मिली थी। मरीजों के परिजन ऑक्सीजन सिलेंडर के लिए दर-दर भटक करे थे। यहां तक की कई राज्यों में इसकी कमी के चलते हजारों मरीजों की जान भी चली गई। कई व्यापारियों द्वारा इसकी कालाबाजारी भी की गई, लेकिन अब अस्पतालों में अब ऑक्सीजन संकट कम होता दिखाई पड़ रहा है। द इंडियन एक्सप्रेस की खबर के अनुसार एक अधिकारी ने बताया कि वास्तव में खपत लगभग 8,900 मीट्रिक टन प्रतिदिन से घटकर 8,000 मीट्रिक टन हो गई है।
बता दें कि मई के अंत में देश में ऑक्सीजन आपूर्ति की मात्रा में गिरावट आई है, लेकिन यह अब भी कोविड-19 की पहली लहर की तुलना में अब भी मांग बहुत अधिक है।
ऑक्सीजन आपूर्ति के साथ काम करने वाले अधिकारियों से एक अधिकार प्राप्त समूह द्वारा बनाए गए आंकड़ों से पता चलता है कि स्वास्थ्य केंद्रों को आपूर्ति की गई कुल ऑक्सीजन 9 मई की प्रति दिन 8,944 मीट्रिक टन (एमटी) बहुत ऊचाई पर पहुंच गई थी। जो 18-19 मई को प्रति दिन लगभग 8,100 एमटी टन हो गई। यह 20 मई को फिर थोड़ी सी बढ़ कर 8,334 एमटी हो गई थी।
पहली लहर के दौरान ऑक्सीजन की आपूर्ति
देश में पहली लहर के दौरान 29 दिसंबर, 2020 को मेडिकल ऑक्सीजन की अधिकतम बिक्री 3,095 एमटी थी। वहीं इस साल 31 मार्च को एक दिन में मेडिकल ऑक्सीजन की बिक्री महज 1,559 एमटी थी। तब देश में कोरोना संक्रमण के मामले भी इतने ज्यादा नहीं थे। कोरोना मामलों के बढ़ने के साथ ही देश में ऑक्सीजन की मांग बढ़ती है। जो 30 अप्रैल को प्रतिदिन 8,000 एमटी को पार कर गई।