भारतीय जांच एजेंसी पठानकोट में हुए आतंकी हमले की जांच के लिए पाकिस्तान जाने के प्रयास के तहत पाकिस्तान को नए अनुरोध पत्र भेजने की तैयारी में है। यह अनुरोध पत्र ऐसे समय में भेजे जा रहे हैं जब पाकिस्तानी की ओर से ऐसे संकेत मिले हैं कि अभी वह भारतीय जांच अधिकारियों की अगवानी करने के लिए तैयार नहीं है। इस बीच एनआईए प्रमुख शरद कुमार ने मंगलवार को कहा कि इस्लामाबाद से मंजूरी मिलने के साथ ही उनकी टीम पाकिस्तान का दौरा करने के लिए तैयार है। उन्होंने कहा, हमने जेआईटी की ओर से मांगे गए सभी दस्तावेज सौंप दिए हैं और मेरा मानना है कि पाकिस्तान को सौंपा गया सबूत अंतरराष्ट्रीय स्तर पर किसी भी अदालत में टिक सकता है। हालांकि जेआईटी के पाकिस्तान लौटने के साथ ही पाकिस्तानी उच्चायुक्त अब्दुल बासित ने एनआईए के पाकिस्तान जाने के भारत की उम्मीदों पर पानी फेरते हुए कहा था कि पठानकोट आतंकी हमले की जांच आदान-प्रदान की व्यवस्था पर आधारित नहीं है।
हालांकि भारत ने पहले भी अनुरोध पत्र भेजा था जिसमें जैश के सरगना मौलाना मसूद अजहर, उसके भाई अब्दुल रउफ और हुसैन की मां के आवाज के नमूने मांगे गए थे। बीते दो जनवरी को पंजाब के पठानकोट में वायुसेना स्टेशन पर हुए हमले में सात सुरक्षाकर्मी मारे गए थे। करीब 80 घंटे चले अभियान में चारों हमलावरों को भी मार गिराया गया था। एनआईए ने चारों आतंकवादियों की तस्वीरें अपनी वेबसाइट पर पोस्ट की थीं और लोगों से उनकी पहचान करने की अपील की थी। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार जांच एजेंसी के पास ईमेल की बाढ़ आ गई और कुछ ईमेल तो पाकिस्तान से आए जिनमें इन आतंकवादियों के बारे में सूचना दी गई थी। पाकिस्तान के संयुक्त जांच दल (जेआईटी) के साथ बातचीत के दौरान एनआईए ने उन आतंकवादियों के आवास स्थल के बारे में ब्यौरा मांगा था, जिनके नाम भारत की यात्रा पर आए जेआईटी के साथ साझा किए गए थे। भारत के आग्रह पर पाकिस्तान की ओर से कोई जवाब नहीं आया। पांच सदस्यीय जेआईटी ने 27 मार्च से एक अप्रैल के बीच भारत का दौरा किया था और वह पठानकोट वायुसेना अड्डे पर भी गई और 16 गवाहों के बयान रिकॉर्ड किए। इस जेआईटी में आईएसआई का एक अधिकारी भी शामिल था।