मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल पूरी तरह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहली यात्रा के लिए सजाई जा रही है, वहीं भोपाल के गैस पीड़ित भी यह आस लगाए बैठे हैं कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भोपाल दौरे के दौरान यूनियन कार्बाइड के कारखाने और उसके आसपास के प्रदूषित इलाके को देखने का समय निकालें। भोपाल गैस पूड़ितों ने बाकायदा मांग की है कि प्रधआनमंत्री उनसे मिलने के लिए समय निकालें।
भोपाल में 10वां विश्व हिंदी सम्मेलन होने जा रहा है और उसमें शिरकत करने के लिए नरेंद्र मोदी जा रहे हैं। भोपाल के हर कोने पर प्रधानमंत्री के चेहरे वाले पोस्टर लगे हुए हैं, जो इस हिंदी सम्मेलन के बारे में प्रचार करने के लिए लगाए गए हैं। इस बारे में भापल गैस पीड़ित संगठन का कहना है कि भोपाल में इतनी बड़ी नाइंसाफी हमारे साथ हुई, लाखों लोग पीड़ित हुए, उनके लिए भी देश के प्रधानमंत्री को समय निकालना ही चाहिए। भोपाल गैस पीड़ित महिला स्टेशनरी कर्मचारी संघ की अध्यक्ष रशीदा बी ने बताया, “हमने प्रधनमंत्री को अब तक छह बार ज्ञापन भेजा है। ये ज्ञापन हमने 1 अगस्त 2014 से 17 मार्च 2015 के बीच भेजे लेकिन किसी का कोई जवाब नहीं आया। हमने प्रधानमंत्री से मांग की कि जिन गैस पीड़ितों को मुआवजे में पहले मात्र 25,000 रूपए मिले थे, उन्हें केंद्र सरकार की तरफ से 1 लाख रूपये दिए जाए, ताकि वे सम्मान से जीवन यापन कर सकें। लेकिन प्रधानमंत्री के दफ्तर ने इन ज्ञापनों को रसायन मंत्रालय को भेजने के अलावा और कोई कार्यवाही नहीं की। अब जब प्रधानमंत्री हमारे शहर आ रहे हैं, तो हम चाहते हैं कि वह हमारे लिए भी समय निकालें।
संगठन इस मांग को लेकर आने वाले दिनों में और सक्रिय रहने की योजना भी बना रहा है। सितम्बर 4 को कलेक्टर को सौपे गए एक आवेदन के मार्फत संगठनों ने प्रधानमंत्री से मुआवज़ा, अपराधिक मामले और ज़हर सफाई पर बात करने के लिए 15 मिनट का समय माँगा है । भोपाल ग्रुप फॉर इनफार्मेशन एंड एक्शन की रचना ढिंगरा का कहना है कि “ सबसे निराशाजनक बात यह है कि प्रधानमंत्री के निर्देश में काम करने वाली सीबीआई. की कार्य प्रगति अत्यंत दयनीय है । सीबीआई ने डाव केमिकल के भारतीय शाखा के खिलाफ रिश्वतखोरी के मामले से हट गई, डाव केमिकल को अपराधिक प्रकरण में हाजिर करने में दो बार असमर्थ रही और यूनियन कार्बाइड के भारतीय अधिकारियों के खिलाफ सज़ा बढ़ाने के लिए एक बार भी तर्क पेश नहीं किए है ।”
भोपाल गैस पीड़ितों का मानना है कि भोपाल में गैस पीड़ितों का इलाका ही इस शहर की असल पहचान है और इसका सम्मान नेताओं को करना चाहिए। डाव-कार्बाइड के खिलाफ बच्चे की साफरीन खां का कहना है कि अगर प्रधानमंत्री भोपाल के गैस पीड़ित इलाको में नहीं जाते, पीड़ितों के संगठनों से नहीं मिलते, तो यह ऐसा होगा कि कोई हिंदू बनारस जाए और काशी विश्वनाथ मंदिर ना जाए। भोपाल के बारे में असल ज्ञान इन्हीं इलाकों से मिलता है।