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राष्ट्रपति की शरण में नीतीश

बिहार का राजनीतिक संकट चरम पर पहुंच गया है। पूर्व मुख्यमंत्री और जनता दल यूनाइटेड के नेता नीतीश कुमार ने राज्यपाल की भूमिका की आलोचना की है। वह अपने दल-बल के साथ राष्ट्रपति की शरण में जाने के लिए दिल्ली पहुंच चुके हैं।
राष्ट्रपति की शरण में नीतीश

राज्यपाल केसरीनाथ त्रिपाठी से नाराज़ नीतीश कुमार अपने समर्थक विधायकों को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के सामने पेश करना चाहते हैं। वह अपने 130 समर्थक विधायकों के साथ दिल्ली पहुंच गए हैं।

नीतीश ने राज्यपाल केसरीनाथ त्रिपाठी पर ढुलमुल रवैया अपनाने का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि राज्यपाल के सामने समर्थन का दावा पेश करने के बाद भी वह कोई कदम नहीं उठा रहे हैं।

मांझी की जगह जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) विधायक दल के नेता चुने गए नीतीश ने यह बात कही।

जेडीयू ने पार्टी विरोधी गतिविधियों की वजह से मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी को पार्टी से निष्कासित कर दिया है और अब वह विधानसभा में असंबद्ध विधायक हैं।

नीतीश और उनके समर्थक विधायक दो व्यावसायिक विमानों से दिल्ली पहुंचे। राष्टपति भवन के सूत्रों ने कहा कि नीतीश के आग्रह पर राष्टपति आज निर्णय करेंगे।

नीतीश ने कहा कि वह विधायकों को राष्ट्रीय राजधानी में राष्ट्रपति के समक्ष पेश करने को बाध्य हो रहे हैं क्योंकि त्रिापाठी ने कोई निर्णय नहीं किया।

मांझी ने त्यागपत्र देने से इनकार करते हुए दावा किया है कि उन्हें अब भी अधिकतर विधायकों का समर्थन प्राप्त है जबकि नीतीश ने मांग की है कि राज्यपाल बहुमत साबित करने के लिए उन्हें या मांझी को बुलायें।

मांझी ने विधानसभा में शक्ति परीक्षण गुप्त मतदान से कराने की मांग की है।

जेडीयू के 99 विधायकों के साथ ही नीतीश के साथ राजद, कांग्रेस, कम्युनिस्ट पार्टी और निर्दलीय विधायक भी हैं।

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