गैर-जिम्मेदार मीडिया से ज्यादा खतरनाक है नियंत्रित मीडिया, यह कहना है भारतीय प्रेस परिषद के अध्यक्ष जस्टिस सी.के. प्रसाद का। आउटलुक के एक सवाल के जवाब में उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार के इस सर्कुलर के खिलाफ पत्र लिखा है जिसमें सरकारी दफ्तरों में सरकारी अधिकारियों से मीडिया कर्मियों के मिलने पर रोक लगाई गई है। उन्होंने कहा कि इस सर्कुलर का नोट लेते हुए उन्होंने केंद्र सरकार को पत्र लिखा है।
आज महिला प्रेस क्लब में पत्रकारों से बातचीत करते हुए उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार मीडिया काउंसिल ऑफ इंडिया बनाने पर विचार कर रही है, जिसके तहत प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया दोनों आएंगे। हालांकि उन्होंने यह भी शंका जाहिर की कि कब तक इस काउसिंल पर फैसला होगा, यह कहना मुश्किल है। जस्टिस प्रसाद ने यह भी माना कि पत्रकारों पर हमले बढ़े हैं और पहले की तुलना में खतरा भी बढ़ा है। भारतीय प्रेस परिषद ने इन हमलों का संज्ञान लेते हुए कार्यवाही भी की है। उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश में पत्रकार पर हमले की जांच के लिए उन्होंने एक जांच कमेटी की गठन किया था, जिसने अपनी रिपोर्ट छह हफ्ते में सौंप दी थी। अब यह रिपोर्ट सरकार से पास है।
पत्रकारों से बातचीत के दौरान मुंबई धमाकों के अभियुक्त याकूब मेनन को दी गई फांसी पर कवरेज पर केंद्र सरकार द्वारा चार इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को दी गई नोटिस का भी मामला उठा। जस्टिस प्रसाद ने स्पष्ट किया कि चूंकि यह मामला टीवी न्यूज चैनल का है, इसलिए भारतीय प्रेस परिषद के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है, फिर भी उन्होंने इस बाबत पत्र लिखा है। जब उनसे पूछा गया कि अगर ऐसी ही नोटिस प्रिंट मीडिया को आती तो वह क्या करते, तो इस पर वह चुप्पी साध गए। बाद में उन्होंने कहा कि मीडिया को भी राष्ट्र हित का ध्यान रखते हुए काम करना चाहिए।
मीडिया पर दो तरफा हमलों की बात करते हुए उन्होंने कहा कि बाहरी हमलों से ज्यादा चिंताजनक अंदरुनी हमला है। पत्रकारों पर हमलों की संख्या में वृद्धि पर चिंता जताते हुए उन्होंने कहा कि इसे संज्ञेय अपराध बनाया जाना चाहिए। ऐसा होने पर पत्रकारों पर हमला करने वालों के मन में खौफ होगा।