प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को मन की बात के जरिये संबोधित किया। यह मन की बात का 83वां एपिसोड था। प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में आजादी के 75वें वर्षगांठ पर मनाए जा रहे अमृत महोत्सव पर खासा जोर दिया। इसके अलावा उन्होंने पर्यावरण, स्टार्टअप, सरकारी योजनाएं, कला और संस्कृति पर भी बात की है। मन की बात में प्रधानमंत्री ने अपने बारे में कहा, "मैं जनता का सेवक हूँ। मैं सत्ता में नहीं, सेवा में रहना चाहता हूँ। प्रधानमंत्री का पद सेवा के लिए ही होता है।"
स्टार्टअप पर जोर देते हुए पीएम ने कहा कि स्टार्टअप्स के जरिये भारतीय युवा ग्लोबल प्रॉब्लम्स के समाधान में अपना योगदान दे रहे हैं। आज स्टार्टअप की सफलता के कारण हर किसी का उस पर ध्यान गया है। आज, भारत में 70 से अधिक स्टार्टअप हैं जिन्होंने 1 बिलियन से अधिक के इवैल्यूएशन को पार कर लिया है। उन्होंने कहा, "एक समय था जब कोई बिजनेस करेगा ये सुनते ही बड़े-बुजुर्ग उसे समझाने लगते थे कि नौकरी करो। लेकिन आज सब कुछ बदल गया है। अब लोग ये सुनकर उत्साहित होते हैं। पीएम ने लोगों से आह्वान करते हुए कहा कि वो जॉब सीकर नहीं जॉब गिवर बनें।"
सेना के वीरता को नमन करते हुए उन्होंने कहा,"दिसंबर महीने में नेवी डे और आर्म्ड फोर्स फ्लैग डे भी देश मनाता है। हम सबको मामूल है 16 दिसम्बर को 1971 के युद्ध का स्वर्णिम जयंती वर्ष भी देश मना रहा है। इन सभी अवसरों पर देश के सुरक्षा बलों का स्मरण और नमन करता हूँ।"
पर्यावरण के मुद्दे पर पीएम मोदी ने कहा कि जब हम प्रकृति का संरक्षण करते हैं तभी प्रकृति हमें भी संरक्षण देती है और प्रकृति से हमारे लिये खतरा तभी पैदा होता है जब हम उसके संतुलन को बिगाड़ते हैं या उसकी पवित्रता नष्ट करते हैं। उन्होंने कहा कि प्रकृति मां की तरह हमारा पालन भी करती है और हमारी दुनिया में नए-नए रंग भी भरती है।
'सबका साथ और सबका विश्वास' पर जोर देते हुए उन्होंने जालौन की एक बात बताई। उन्होंने कहा, "जालौन में एक नदी थी जिसे नून नदी कहा जाता था। वो धीरे-धीरे, नदी विलुप्त होने के कगार पर आ गई। इसने क्षेत्र के किसानों के लिए संकट पैदा कर दिया। जालौन के लोगों ने इस साल एक समिति बनाई और नदी को पुनर्जीवित किया। यह 'सबका साथ, सबका विकास' का एक उदाहरण है।
6 दिसंबर को आने वाले बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर की पुण्यतिथि को याद करते हुए पीएम ने कहा कि संविधान के प्रस्तावना के अनुसार ही देश के सभी लोगों को अपने कर्तव्यों का निर्वहन करना चाहिए। यही बाबा साहेब को असली श्रद्धांजलि होगी। मन की बात के अंत में कोरोना से बचाव पर प्रकाश डालते हुए पीएम ने कहा, "मत भूलना कोरोना गया नहीं है। सावधानी बरतना, हमारी जिम्मेदारी।"
मन की बात कार्यक्रम का पहला एपिसोड 3 अक्टूबर 2014 को प्रसारित किया गया था। इससे पहले 24 अक्टूबर को प्रस्तावित मन की बात कार्यक्रम में पीएम मोदी ने स्वच्छ भारत अभियान के कार्यान्वयन पर जोर दिया था।