भारी हंगामे और विवादों के बीच नागरिकता संशोधन बिल सोमवार रात को लोकसभा में पास हो गया है। अब मोदी सरकार बुधवार को इसे राज्यसभा में पेश करेगी। लोकसभा में इस बिल के पक्ष में 311 वोट पड़े जबकि, विपक्ष में 80 वोट। इस बिल को लेकर देशभर में लोगों का विरोध जारी है। कांग्रेस, राकांपा, बसपा, सपा और टीआरएस ने भी नागरिकता संशोधन विधेयक का विरोध किया।
इस बिल का विरोध कर रहे पूर्वोत्तर के लोगों का कहना है कि बाहर से आकर नागरिकता लेने वाले लोगों से उनकी पहचान और आजीविका को खतरा है। विरोध के मद्देनजर गुवाहाटी, डिब्रूगढ़ और कॉटन यूनिवर्सिटी की परीक्षा रद्द कर दी गई है।पश्चिम बंगाल, असम और त्रिपुरा समेत पूर्वोत्तर के कई राज्यों में इस बिल के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन कर रहे लोगों का गुस्सा अब कई तरह से सामने आ रहा है।
- नागरिकता संशोधन बिल के खिलाफ त्रिपुरा के अगरतला में विरोध प्रदर्शन
- दिल्ली के संसद परिसर में नागरिकता संशोधन बिल 2019 का विरोध करते वाम दलों के नेता
- असम के डिब्रूगढ़ में नागरिकता संशोधन बिल 2019 का विरोध करते स्थानीय लोग
- लोकसभा में पास हुए नागरिकता संशोधन बिल 2019 के खिलाफ असम में लोगों ने इस तरह जताया विरोध
- डिब्रूगढ़ में नागरिकता संशोधन बिल के खिलाफ सड़कों पर उतरे ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (एएएसयू) के छात्र
-असम की सड़कों पर नागरिकता विधेयक के विरोध में सन्नाटा पसरा हुआ है
अमेरिकी आयोग ने दिया ये बयान
अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर संघीय अमेरिकी आयोग (यूएससीआईआरएफ) ने कहा कि नागरिकता संशोधन विधेयक ‘गलत दिशा में बढ़ाया गया एक खतरनाक कदम’ है और यदि यह भारत की संसद में पारित होता है तो भारत के गृह मंत्री अमित शाह के खिलाफ प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए। यूएससीआईआरएफ ने सोमवार को एक बयान में कहा कि विधेयक के लोकसभा में पारित होने से वह बेहद चिंतित है।
पाकिस्तान ने भी किया बिल का विरोध
पड़ोसी देश पाकिस्तान ने 'नागरिकता संशोधन बिल' को भेदभावकारी बिल करार देकर इसका विरोध किया है। पाकिस्तान ने कहा कि यह बिल दोनों देशों के बीच तमाम द्विपक्षीय समझौतों का पूरी तरह से उल्लंघन है और खासतौर पर अल्पसंख्यकों के अधिकारों और उनकी सुरक्षा के लिए चिंताजनक है।
पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा कि लोकसभा द्वारा पारित नागरिकता से जुड़े संशोधित बिल में पाकिस्तान और दो अन्य दक्षिण एशियाई देशों के मुस्लिमों को छोड़कर सभी धर्मों के शरणार्थियों को नागरिकता देने का प्रावधान करता है जोकि पूरी तरह गलत है। यह धर्म के आधार पर भेदभाव करने वाले तमाम अंतरराष्ट्रीय समझौतों का उल्लंघन है।