प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को राज्यसभा में कहा कि साधारण पृष्ठभूमि से उठकर सी. पी. राधाकृष्णन का उपराष्ट्रपति पद तक पहुंचना भारतीय लोकतंत्र की वास्तविक शक्ति को प्रदर्शित करता है। उन्होंने उम्मीद जताई कि उनका अनुभव और मार्गदर्शन उच्च सदन की कार्यवाही के सुचारू संचालन में सहायक होगा।
सितंबर में चंद्रपुरम पोनुसामी (सी. पी.) राधाकृष्णन देश के 15वें उपराष्ट्रपति चुने गए थे। अपने निर्वाचन के साथ ही राधाकृष्णन राज्यसभा के पदेन सभापति बन गए।
संसद के शीतकालीन सत्र की शुरुआत पर प्रधानमंत्री ने उन्हें बधाई दी और उम्मीद जताई कि उनके नेतृत्व में सदन सार्थक चर्चाएं करेगा और महत्वपूर्ण निर्णय लेगा।
राज्यसभा में प्रधानमंत्री ने कहा, “मैं आपको बधाई देता हूं और भरोसा है कि इस सदन का हर सदस्य इसकी परंपराओं का सम्मान करेगा और आपकी गरिमा को बनाए रखेगा।”
पूर्व उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने संसद के मानसून सत्र की शुरुआत में 21 जुलाई, 2025 को स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं का हवाला देते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया था।
इसके बाद उप राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव हुआ और राधाकृष्णन इस पद पर निर्वाचित हुए। उप राष्ट्रपति राज्यसभा के सभापति भी होते हैं। उच्च सदन के सभापति के तौर पर शीतकालीन सत्र राधाकृष्णन का पहला सत्र है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि राधाकृष्णन किसान परिवार से आते हैं और उन्होंने अपना पूरा जीवन समाज सेवा को समर्पित किया है। उन्होंने कहा “राजनीति उनकी यात्रा का सिर्फ एक हिस्सा रही है — समाज सेवा युवावस्था से अब तक उनका मुख्य मिशन रहा है। साधारण जीवन से उनका इस उच्च पद तक पहुंचना हमारे लोकतंत्र की ताकत का प्रमाण है।”
मोदी ने कहा कि राधाकृष्णन हमेशा प्रोटोकॉल से ऊपर उठकर काम करते रहे हैं और उनका व्यक्तित्व सेवा, समर्पण और धैर्य का प्रतीक है।
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘हमने सहयोगी के तौर पर साथ काम किया, कार्यकर्ता के तौर पर आपको मैंने काम करते देखा और विभिन्न पदों की जिम्मेदारियों का निर्वाह करते हुए इस पद पर पहुंचते देखा है। मैंने यह महसूस किया है कि आपका प्रोटोकॉल से कोई नाता नहीं रहा। सार्वजनिक जीवन में प्रोटोकॉल से मुक्त होना एक बड़ी ताकत होती है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘आपके व्यक्तित्व में सेवा, समर्पण, संयम… इन सभी बातों से हम परिचित हैं। आप एक मध्यम परिवार से आते हैं। आपने अपनी सेवा का क्षेत्र बेहद व्यापक रखा है जिसमें वंचित परिवार हमेशा से आपकी प्राथमिकता रहे हैं।’’
प्रधानमंत्री ने दो घटनाओं का उल्लेख किया। एक तो बचपन में राधाकृष्णन डूबने से बाल–बाल बचे थे और दूसरी घटना में लालकृष्ण आडवाणी की यात्रा के दौरान बम विस्फोट से वह बचे थे। प्रधानमंत्री के अनुसार, इन दोनों अनुभवों ने राधाकृष्णन की समाज सेवा और राष्ट्र सेवा के लिए प्रतिबद्धता को और गहरा किया।
मोदी ने यह भी बताया कि वाराणसी यात्रा के दौरान राधाकृष्णन ने मांसाहार छोड़ने का निर्णय लिया था। उन्होंने कहा, “मैं यह नहीं कह रहा कि मांसाहार गलत है, लेकिन वाराणसी से सांसद होने के नाते मैं इस भाव को सराहता हूं।”
प्रधानमंत्री ने कहा कि छात्र जीवन से ही राधाकृष्णन ने मजबूत नेतृत्व क्षमता दिखाई और आसान रास्ते की बजाय संघर्ष का मार्ग चुना। मोदी के अनुसार, आपातकाल के दौरान राधाकृष्णन ने लोकतंत्र के सच्चे सिपाही की तरह लड़ाई लड़ी और जनचेतना फैलाने का काम किया, वहीं दूसरी ओर एक कुशल संगठक के रूप में उन्होंने हर जिम्मेदारी में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया और लोगों को जोड़ने का काम किया।
मोदी ने कहा, “आज हम सभी के लिए गर्व का अवसर है। उनकी यात्रा पूरे देश के लिए प्रेरणा है। मैं उन्हें पुनः बधाई देता हूं।”
इससे पहले, सत्र की शुरूआत से पूर्व संसद परिसर में संवाददाताओं को संबोधित करते हुए भी प्रधानमंत्री ने उप राष्ट्रपति सी पी राधाकृष्णन को राज्यसभा के सभापति के तौर पर पहले सत्र की अध्यक्षता करने के लिए बधाई और शुभकामनाएं दीं।