केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने रविवार को इलाहाबाद में दावा किया था कि जेएनयू प्रदर्शन को लश्कर-ए-तैयबा के संस्थापक हाफिज सईद का समर्थन प्राप्त था और यह बात ऐसी है जिसे देश को समझना चाहिए। साथ ही राजनाथ ने राजनीतिक पार्टियों से यह भी कहा कि वह ऐसे प्रदर्शनों को राजनीतिक नफे-नुकसान के चश्मे से न देखें। गृह मंत्री के इस बयान ने विवाद पैदा कर दिया। विपक्षी पार्टियों ने मांग की कि गृह मंत्री अपने दावे को साबित करने के लिए सबूत दें। नेशनल कांफ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने कहा कि छात्रों के खिलाफ लगाया गया यह काफी गंभीर आरोप है और सभी के साथ सबूत साझा किया जाना चाहिए। माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा कि गृह मंत्री को सामने आकर सारे सबूत देश के साथ साझा करना चाहिए ताकि वह अपने इस गंभीर आरोप को साबित कर सकें। भाकपा के राष्ट्रीय सचिव डी राजा ने भी मांग की कि सबूत सार्वजनिक किए जाने चाहिए। राजनाथ ने यह बयान एेसे समय में दिया है जब पिछले दिनों कथित तौर पर सईद की ओर से कुछ ट्वीट किए गए और पाकिस्तानियों से अपील की गई कि वे जेएनयू के प्रदर्शन का समर्थन करें। पुलिस इस बात की जांच कर रही है कि क्या वे ट्वीट वाकई सईद की ओर से किए गए थे।
इससे पहले देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किए गए जेएनयू छात्रा संघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार की रिहाई की मांग कर रहे छात्रों को उस वक्त बड़ी ताकत मिली जब देश की 40 यूनिवर्सिटी के शिक्षक संघों ने जेएनयू के छात्रों एवं शिक्षकों की ओर से किए जा रहे प्रदर्शन को समर्थन देने की घोषणा की। जेएनयू शिक्षक संघ भी मामले से ठीक से न निपटने को लेकर यूनिवर्सिटी प्रशासन के खिलाफ खुलकर सामने आ गया है। शिक्षक संघ खासकर इस बात से नाराज है कि यूनिवर्सिटी की ओर से गठित उच्च-स्तरीय जांच समिति की छानबीन पूरी होने से पहले पुलिस कार्रवाई की इजाजत क्यों दी गई। शिक्षक छात्रों के समर्थन में उतर आए हैं। जेएनयू के छात्राों एवं शिक्षकों के समर्थन में उतरे केंद्रीय विश्वविद्यालय शिक्षक संघ के फेडरेशन की अध्यक्ष नंदिता नारायण ने कहा कि हैदराबाद विश्वविद्यालय सहित 40 केंद्रीय विश्वविद्यालयों के शिक्षक संघों ने जेएनयू छात्रों और शिक्षकों को अपना समर्थन दिया है।
इस बीच, जेएनयू परिसर में पिछले दिनों आयोजित विवादित कार्यक्रम के सिलसिले में शैक्षणिक गतिविधियों में हिस्सा लेने से रोके गए यूनिवर्सिटी के आठ में से सात छात्रों को मामले की जांच कर रही उच्च-स्तरीय समिति के समक्ष पेश होने को कहा गया है। जेएनयू के रजिस्ट्रार भुपिंदर जुत्शी ने कहा, सात छात्रों को नोटिस भेजकर मामले की जांच कर रही यूनिवर्सिटी की उच्च स्तरीय समिति के समक्ष पेश होने के लिए कहा गया है। कन्हैया सहित आठ छात्रों को जांच पूरी होने तक शैक्षणिक गतिविधियों में हिस्सा लेने से रोक दिया गया है। रजिस्ट्रार ने बताया, जिन छात्रों को शैक्षणिक गतिविधियों में हिस्सा लेने से रोका गया है, उन्हें छात्रावास में रहने की अनुमति दी गई है क्योंकि उन्हें जांच समिति की बैठकों में हिस्सा लेना होगा।
दूसरी ओर, जेएनयू में आयोजित कार्यक्रम पर पैदा हुए विवाद के तूल पकड़ने के बाद सोशल मीडिया पर एक वीडियो खूब साझा किया जा रहा है जिसमें कथित तौर पर आरएसएस-भाजपा की छात्र शाखा अखिल भारतीय विद्यार्थाी परिषद (एबीवीपी) के सदस्य पाकिस्तान के समर्थन में नारेबाजी करते दिख रहे हैं। हालांकि एबीवीपी ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि संगठन की छवि धूमिल करने के लिए वीडियो से छेड़छाड़ की गई है। दि काॅंस्पिरेसी शीर्षक से सोशल मीडिया पर डाले गए एक मिनट 32 सेकंड के इस वीडियो में कथित तौर पर एबीवीपी से जुड़े छात्र पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाते दिख रहे हैं। बता दें कि बीते 9 फरवरी को जेएनयू परिसर में संसद पर हमले के दोषी अफजल गुरू की फांसी के विरोध में आयोजित कार्यक्रम के बाद कुछ लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी। इसके बाद जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार को देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया था।