नायडू ने राष्ट्रीय किराया आवास नीति 2015 के मसौदे पर आयोजित राष्ट्रीय परिचर्चा को संबोधित करते हुए कहा कि भारत में कुल मकानों में किराये के मकानों का हिस्सा महज 11 फीसदी ही है। वहीं, दूसरी ओर कुल मकानों में किराये के मकानों का हिस्सा नीदरलैंड में 35 फीसदी, हांगकांग में 31 फीसदी, ऑस्ट्रिया में 23 फीसदी और ब्रिटेन में 20 फीसदी है। उन्होने कहा कि देश के शहरी क्षेत्रों में करीबन 190 लाख मकानों की किल्लत है, लेकिन इसके बावजूद 110 लाख मकान खाली पड़े हैं।
नायडू ने इस तथ्य पर गंभीर चिंता जताई कि जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी नवीकरण मिशन (जेएनएनयूआरएम) के तहत शहरी गरीबों के लिए बनाए गए 2.37 लाख से ज्यादा मकान अब भी खाली पड़े हुए हैं। उन्होंने कहा कि आवश्यक बुनियादी ढांचा एवं रहने लायक स्थितियां सुनिश्चित न करने के चलते ही ऐसी स्थिति पैदा हुई है, जो एक अपराध है। उन्होंने कहा कि आवास से जुड़े नये कदमों के तहत इस तरह की गलतियां दोहराई नहीं जानी चाहिए।
चेन्नई में आई विनाशकारी बाढ़ का जिक्र करते हुए श्री नायडू ने शहरी नियोजन एवं विकास की खातिर सही सबक सीखने की जरूरत पर बल दिया, ताकि शहरी क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को इस तरह की मुसीबतों का कतई सामना न करना पड़े। उन्होंने कहा कि नालियों और यहां तक कि नदी के तटवर्ती इलाकों का भी अतिक्रमण करते हुए शहरी क्षेत्रों के गैर-निगमित एवं बेतरतीब फैलाव से बचने की जरूरत है, जिससे कि इस तरह की अनचाही स्थितियों का सामना न करना पड़े।