संघ की सर्वोच्च नीति निर्धारक इकाई अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की राजस्थान के नागौर में आयोजित तीन दिवसीय सालाना बैठक में यह फैसला किया गया। इसके साथ ही समय के साथ खुद में बदलाव ला रहे संगठन की पहचान अब भूरे रंग की पतलून बनेगी।
संघ के सरकार्यवाह सुरेश भैयाजी जोशी ने यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा, हमने खाकी निकर की जगह भूरे रंग की पैंट को गणवेश में शामिल करने का निर्णय लिया है। हम अड़ियल रुख नहीं रखते और समय के अनुसार फैसले लेते हैं। साल 1925 में संघ की स्थापना के बाद से ढीला-ढाला खाकी निकर संगठन की पहचान रहा है। शुरू में 1940 तक संघ के गणवेश में खाकी कमीज और निकर होते थे, बाद में सफेद कमीज इसमें शामिल हो गई।
जोशी ने इसे बड़ा बदलाव बताते हुए कहा, आज के सामाजिक जीवन में पैंट नियमित रूप से शामिल है और इसी को देखते हुए हमने हमारा फैसला किया। संघ पदाधिकारी ने प्रश्नों का जवाब देते हुए कहा, हमने भूरे रंग पर फैसला किया जिसकी कोई विशेष वजह नहीं है बल्कि यह आराम से उपलब्ध है और अच्छा दिखाई देता है। क्या इससे संघ स्वयंसेवकों की पहचान पर कोई असर पड़ेगा, इस प्रश्न पर जोशी ने कहा कि इसका कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं होगा और अगले चार-छह महीने में इसे सहजता से स्वीकार किया जाएगा।