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डीयू प्रोफेसर जीएन साईबाबा को सुप्रीम कोर्ट से मिली जमानत

उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर जी एन साईबाबा को आज जमानत दे दी, जिन्हें कथित माओवादी संपर्कों के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। मामले की सुनवाई के दौरान आज शीर्ष अदालत ने कहा कि महाराष्ट्र सरकार उनके प्रति अत्यंत अन्यायपूर्ण रही है।
डीयू प्रोफेसर जीएन साईबाबा को सुप्रीम कोर्ट से मिली जमानत

न्यायमूर्ति जे एस खेहर और न्यायमूर्ति सी नागप्पन की पीठ ने साईबाबा की जमानत अर्जी का विरोध करने पर महाराष्ट्र के वकील से भी नाराजगी जताई। पीठ ने कहा, आप आरोपी के प्रति, खासतौर पर उनकी चिकित्सकीय स्थिति देखें तो अत्यंत अन्यायपूर्ण रहे हैं। अगर महत्वपूर्ण गवाहों से पूछताछ कर ली गई है तो उन्हें जेल में रखने का कोई मतलब नहीं है। महाराष्ट्र सरकार के वकील ने कहा कि अभियोजन पक्ष के कुछ अहम गवाहों से पूछताछ होना जरूरी है। हालांकि पीठ ने इस दलील से इत्तेफाक नहीं जताया और व्हीलचेयर पर चलने वाले डीयू प्रोफेसर को जमानत दे दी जो नागपुर जेल में बंद हैं। 29 फरवरी को न्यायमूर्ति जे एस खेहर और न्यायमूर्ति सी नागप्पन की पीठ ने कहा था कि निचली अदालत द्वारा प्रमुख गवाहों से पूछताछ के बाद वह साईबाबा को जमानत देने पर विचार कर सकती है। शीर्ष अदालत ने मामले में दिन-प्रतिदिन के आधार पर सुनवाई का निर्देश दिया था।

 

इससे पहले अदालत ने महाराष्ट्र सरकार से जेल में बंद प्रोफेसर को रखने के लिए वैकल्पिक व्यवस्था देखने को कहा था। पीठ ने राज्य सरकार को निर्देश दिया था कि साईबाबा को पर्याप्त चिकित्सा सुविधाएं दी जाएं। इससे पहले लेखिका अरुंधति रॉय की अर्जी पर शीर्ष अदालत ने उनके खिलाफ एक लेख के लिए बंबई उच्च न्यायालय द्वारा जारी एक आपराधिक अवमानना नोटिस पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। अरुंधति ने एक साप्ताहिक पत्रिका में प्रकाशित अपने लेख में साईबाबा को लगातार जेल में रखे जाने पर सवाल खड़े किए थे। बंबई उच्च न्यायालय ने साईबाबा की गिरफ्तारी और उन्हें जमानत से इनकार पर पिछले साल लेखिका के विचारों के लिए उनके खिलाफ 23 दिसंबर, 2015 को अवमानना नोटिस जारी किया था। गढ़चिरोली पुलिस ने साईबाबा को माओवादियों से कथित संबंधों के मामले में 2014 में गिरफ्तार किया था। अरुंधति ने पिछले साल एक साप्ताहिक पत्रिका में प्रकाशित अपने लेख में प्रोफेसर की गिरफ्तारी पर विचार व्यक्त किए थे।

 

दिल्ली विश्वविद्यालय और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के कुछ शिक्षकों और अरुंधति रॉय समेत कई सामाजिक कार्यकर्ताओं ने उच्चतम न्यायालय के फैसले का स्वागत किया। डीयू के प्रोफेसर डॉ. जीएन साईबाबा के बचाव और रिहाई के लिए बनाई गई समिति में शामिल शिक्षाविदों और कार्यकर्ताओं ने बयान जारी कर कहा, यह निश्चित रूप से साईबाबा के लिए बहुत जरूरी और बहुप्रतीक्षित राहत है जो नागपुर केंद्रीय जेल में बंद हैं। बयान में कहा गया, आज अदालती कार्यवाही में राज्य सरकार के रुख से साफ संकेत मिलता है कि वंचितों के लिए संघर्ष में लगातार शामिल लोगों के खिलाफ राज्य सरकार द्वारा अपनाई गई डराने-धमकाने वाली चालें खत्म नहीं होने वाली हैं।

 

रामलाल आनंद कॉलेज में अंग्रेजी के प्रोफेसर साईबाबा को डीयू से निलंबित कर दिया गया था। उन्हें कथित माओवादी संपर्कों को लेकर 2014 में महाराष्ट्र पुलिस ने गिरफ्तार किया था। उन्हें 14 महीने तक नागपुर केंद्रीय जेल में रखा गया और केंद्र द्वारा उनकी बिगड़ती सेहत पर गौर किए जाने के बाद जुलाई 2015 में उन्हें जमानत दे दी गई। हालांकि जमानत रद्द करते हुए पिछले साल दिसंबर में उन्हें फिर गिरफ्तार कर लिया गया। जेएनयू परिसर में एक आयोजन को लेकर देशद्रोह के एक मामले में जमानत पर चल रहे जेएनयू के छात्र संघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार और उमर खालिद ने साईबाबा की जमानत को अच्छी खबर बताया।

 

 

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