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प्रवासी मजदूरों को घर पहुंचाने के लिए दे सकते हैं 15 दिन का समय: सुप्रीम कोर्ट

लॉकडाउन की वजह से फंसे प्रवासी श्रमिकों के मामले पर सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को सुनवाई हुई। कोर्ट...
प्रवासी मजदूरों को घर पहुंचाने के लिए दे सकते हैं 15 दिन का समय: सुप्रीम कोर्ट

लॉकडाउन की वजह से फंसे प्रवासी श्रमिकों के मामले पर सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को सुनवाई हुई। कोर्ट ने केंद्र और राज्‍य सरकारों से कहा है कि वे प्रवास‍ियों को उनके घर पहुंचाने के लिए 15 दिन का समय दे सकते हैं। जस्टिस अशोक भूषण, एस के कौल और एम आर शाह की पीठ ने इस मामले की सुनवाई करते हुए ये बातें कही है। कोर्ट को सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बताया कि 3 जून तक 4,200 से अधिक श्रमिक स्पेशल ट्रेने चलाई जा चुकी है। तुषार मेहता ने कहा कि अभी तक एक करोड़ से अधिक प्रवासी श्रमिकों को उनके घर तक छोड़ा जा चुका है। अधिकांश ट्रेनों को बिहार और उत्तर प्रदेश के लिए रवाना किया गया है।

किराया को लेकर कोर्ट ने दिया था निर्देश

इससे पहले कोर्ट में 28 मई को प्रवासी श्रमिकों के मामले पर सुनवाई हुई थी। जिसमें कोर्ट ने आदेश दिया था कि घर जाने वाले प्रवासी श्रमिकों से ट्रेन या बस का किराया नहीं वसूला जाएगा। इसका वहन राज्यों को करना होगा। साथ ही देश भर में फंसे लोगों को मुफ्त भोजन-पानी उपलब्ध कराने का आदेश दिया था।

खाना-पानी की राज्य करे व्यवस्था: सुप्रीम कोर्ट

सुनवाई में कोर्ट ने निर्देश देते हुए कहा था कि राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा प्रवासी श्रमिकों को भोजन और पानी की व्यवस्था तब तक कराया जाएगा, जब तक कि वो अपने गंतव्य तक जाने वाली ट्रेन या बस में बैठ नहीं जाते। कोर्ट ने स्पष्ट तौर पर कहा था कि स्टेशन तक की व्यवस्था राज्य सरकार करेगी। उसके बाद यात्रा के दौरान रेलवे को इन चीजों को मुहैया कराना होगा।

देश में कोरोना के मामलों में लगातार इजाफा हो रहा है। गुरूवार को कोरोना के आए आंकड़े अब तक के सबसे ज्यादा आंकड़े दर्ज किए गए हैं। एक दिन में कोविड के दस हजार मामलों की पुष्टि हुई है। वहीं, अनलॉक-1 बीते एक जून से जारी है। कंटेनमेंट जोन में लॉकडाउन को तीस जून तक के लिए बढ़ा दिया गया है। इस बीच अभी भी बड़ी तादात में प्रवासी श्रमिक देश के कई हिस्सों में फंसे हुए हैं।

 

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