महिलाओं के लिए मेट्रो यात्रा मुफ्त करने के दिल्ली सरकार के महत्वाकांक्षी प्रस्ताव को शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट से तीखी आलोचना झेलनी पड़ी। अदालत ने इस पर गंभीर सवाल खड़े किए। कोर्ट ने इस तरह मुफ्त यात्रा और रियायत देने पर कहा कि इससे दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन को घाटा हो सकता है। शीर्ष अदालत ने कठोर लहजे में कहा कि दिल्ली सरकार को जनता के पैसे से इस तरह की मुफ्त रेवड़ियां देने से गुरेज करना चाहिए। साथ ही कोर्ट ने चेतावनी भी दी है कि वह उसे ऐसा करने से रोक सकती है क्योंकि अदालत अधिकारविहीन नहीं हैं।
जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस दीपक गुप्ता की पीठ ने दिल्ली सरकार के वकील से कहा, 'यदि आप लोगों को मुफ्त यात्रा की अनुमति देंगे तो दिल्ली मेट्रो को घाटा हो सकता है। यदि आप ऐसा करेंगे तो हम आपको रोकेंगे। आप यहां पर एक मुद्दे के लिए लड़ रहे हैं और आप चाहते हैं कि उन्हें घाटा हो। आप प्रलोभन मत दीजिए। यह जनता का पैसा है।'
'आप दिल्ली मेट्रो को क्यों बर्बाद करना चाहते हैं?
पीठ ने कहा, 'आप दिल्ली मेट्रो को क्यों बर्बाद करना चाहते हैं? क्या आप इस तरह की घूस देंगे और कहेंगे कि केंद्र सरकार को इसका खर्च वहन करना चाहिए।' पीठ ने कहा, 'आपके पास जो है वह जनता का धन और जनता का विश्वास है। क्या आप समझते हैं कि अदालतें अधिकारविहीन हैं।' हालांकि दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि इस प्रस्ताव पर अभी अमल नहीं किया गया है।
अगले साल होने वाले चुनाव से पहले आया ये प्रस्ताव
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने जून में कहा था कि उनकी सरकार ने राष्ट्रीय राजधानी में महिलाओं के लिए मेट्रो और बस यात्रा मुफ्त करने का प्रस्ताव रखा है और यह योजना दो-तीन महीनों के भीतर लागू हो जाएगी। दिल्ली सरकार का यह कदम अगले साल के शुरू में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले आया है।
'चौथे चरण की परियोजना के संचालन घाटे की भरपाई दिल्ली सरकार करेगी'
शीर्ष अदालत ने दिल्ली मेट्रो के चौथे चरण की परियोजना से संबंधित तीन मुद्दों पर विचार किया। इनमें संचालन का घाटा वहन करना, जापान इंटरनैशनल कॉर्पोरेशन एजेंसी के ऋण के भुगतान में चूक होने पर इसका पुनर्भुगतान और भूमि की कीमत साझा करना शामिल थे। केंद्र और दिल्ली सरकार के बीच इन मुद्दों को अभी भी हल करना बाकी है।
अदालत ने साथ ही निर्देश दिया कि मेट्रो के चौथे चरण की 103.94 किलोमीटर लंबी परियोजना के संचालन घाटे की भरपाई दिल्ली सरकार करेगी क्योंकि परिवहन का यह साधन राष्ट्रीय राजधानी में आवागमन के लिए है। पीठ ने निर्देश दिया कि इस परियोजना के लिए भूमि की कीमत केंद्र और दिल्ली सरकार को 50:50 के अनुपात में वहन करनी होगी। पीठ ने संबंधित प्राधिकारियों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि मेट्रो परियोजना के चौथे चरण में किसी तरह का विलंब नहीं हो और भूमि की कुल कीमत की 2,247.19 करोड़ रुपये की राशि तत्काल जारी की जाए। पीठ ने केंद्र और दिल्ली सरकार को यह भी निर्देश दिया कि वे भूमि की कीमत के भुगतान का तरीका तीन हफ्ते के भीतर तैयार करें।
एजेंसी इनपुट