करीब चालीस दिनों से देशभर के किसान नए कृषि कानून के खिलाफ राजधानी दिल्ली में प्रदर्शन कर रहे हैं। हरियाणा, पंजाब समेत अन्य राज्यों के किसान संगठन दिल्ली में डटे हुए हैं। अब तक केंद्र और किसानों के बीच छह दौर की बातचीत हो चुकी है। लेकिन, कुछ भी खास नतीजा नहीं निकला है। छठे दौर की बातचीत बीते दिन तीस दिसंबर को थी। इस बैठक में केंद्र ने सिर्फ दो मांगों को माना है। वहीं, योगेंद्र यादव का कहना है कि अभी तक जो प्रमुख दो मांगे, न्यूनतम समर्थन मुल्य (एमएसपी) और कृषि कानून को वापस लेने की थी उस पर बात नहीं बनी है। जबकि कृषि मंत्री नरेद्र सिंह तोमर ने कहा कि आधी बातों पर किसान राजी हो गए हैं और बातों पर चर्चा जारी है। सोमवार को केंद्र और किसानों के बीच सातवें दौर की बातचीत शुरू हो गई है। आज देखना होगा कि इसका नतीजा क्या निकलता है।
इन मांगों पर बनी थी बात
छठे दौर की बैठक को लेकर जानकारी देते हुए केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा था कि किसानों ने चार प्रस्ताव रखे थे, जिसमें दो पर सहमति बन गई है। एमएसपी पर कानून को लेकर बातचीत जारी है। हम एमएसपी पर लिखित आश्वसन देने के लिए तैयार हैं। वहीं, तोमर ने कहा कि पर्यावरण संबंधी अध्यादेश पर रजामंदी हो गई है। इसके साथ हीं बिजली बिल को लेकर भी सहमति बन गई है। पराली के मुद्दे पर केंद्र राजी है।
नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा था कि एमएसपी जारी रहेगी और इसके लिए केंद्र लिखित में देने को तैयार है। कृषि मंत्री ने कहा कि मांगों पर किसान-सरकार के बीच 50 फीसदी सहमति बन गई है। समिति बनाने के लिए सरकार पहले दिन से तैयार है। अगली बैठक चार जनवरी को होगी।
वार्ता रही विफल तो कृषि कानूनों की कॉपी जलाकर मनाएंगे लोहड़ी: किसान संगठन
वहीं, किसान संगठनों का कहना है कि यदि आज की वार्ता विफल रहती है तो 13 तारीख को कृषि कानूनों की प्रति जलाकर लोहड़ी मनाया जाएगा। रविवार को सिंघु बॉर्डर पर किसान नेता मनजीत सिंह राय ने कहा था कि अगर मांगे नहीं मानी गईँ तो 13 जनवरी को नए कृषि कानूनों की कॉपी जलाकर लोहड़ी मनाएंगे और 23 जनवरी को नेताजी सुभाष चंद्र बोस के जन्मदिन के अवसर पर किसान दिवस भी मनाएंगे। किसान समन्वय समिति ने कहा है कि मांगें नहीं मानी गई तो दिल्ली के चारों ओर लगे मोर्चों से किसान 26 जनवरी को दिल्ली में घुसकर ट्रैक्टर-ट्रॉली और दूसरे वाहनों के साथ किसान गणतंत्र परेड निकालेंगे।