भाजपा नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री सैयद शाहनवाज हुसैन ने बुधवार को अपने खिलाफ बलात्कार के आरोप को उच्चतम न्यायालय में चुनौती देते हुए शिकायत को 'फर्जी' और 'दुर्भावनापूर्ण' बताया।
हुसैन की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने मुख्य न्यायाधीश यूयू ललित की अध्यक्षता वाली पीठ के बात रखी। रोहतगी ने कोर्ट में कहा कि शिकायत एक सार्वजनिक शख्सियत के खिलाफ दुर्व्यवहार का एक बड़ा मामला है। उन्होंने भाजपा नेता के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश का खंडन किया।
न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी और न्यायमूर्ति एस आर भट की पीठ ने कहा कि अगर कोई शिकायत है और जांच की अनुमति नही मिलेगी तो मामला कैसे आगे बढ़ेगा?
रोहतगी ने तर्क दिया कि कानून यह नही है कि जिस क्षण शिकायत दर्ज की जाती है उसी क्षण प्राथमिकी दर्ज की जानी चाहिए। अदालत ने फटकारते हुए कहा, "अगर कोई राजनीतिक पृष्ठभूमि से है, तो इसका मतलब यह नहीं है कि दूसरों को शिकायत दर्ज करने और गड़बड़ी की जांच करने का अधिकार नहीं है।"
2018 में दिल्ली की एक महिला ने कथित तौर पर बलात्कार करने के लिए हुसैन के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की मांग करते हुए निचली अदालत का दरवाजा खटखटाया था। जिसके बाद मजिस्ट्रेट अदालत ने 7 जुलाई 2018 को हुसैन के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने दिया गया था। इसे भाजपा नेता ने सत्र अदालत में चुनौती दी थी। जिसने उनकी याचिका खारिज कर दी थी।
जिसके बाद हुसैन ने इसके खिलाफ 17 अगस्त को उच्च न्यायालय के दरवाजा खटखटाया। हाईकोर्ट द्वारा उनकी याचिका को खारिज करने के बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का में याचिका दायर की। जहां शीर्ष अदालत ने 22 अगस्त को उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगा दी थी।
इससे पहले शीर्ष अदालत ने 19 सितंबर को हुसैन की अपील पर सुनवाई 23 सितंबर को टाल दी थी। जिसमें दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ महिला की शिकायत पर उसके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया गया था।