शिवसेना ने महाराष्ट्र में सरकार गठन के लिए राज्यपाल के और वक्त नहीं दिए जाने के फैसले को चुनौती नहीं देने की बात कही है। पार्टी के वकील के अनुसार, शिवसेना ने महाराष्ट्र में सरकार के गठन के लिए समर्थन पत्र पेश करने के लिए 3 दिन का समय नहीं देने के राज्यपाल के फैसले को चुनौती नहीं दी।
शीर्ष अदालत में शिवसेना का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील ने कहा कि पार्टी ने याचिका का उल्लेख नहीं करना पसंद किया है। शिवसेना की ओर से याचिका दायर करने वाले वकील सुनील फर्नांडिस ने मंगलवार को कहा था कि सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को सुबह 10:30 बजे उन्हें रिट याचिका का उल्लेख करने के लिए कहा था।
वकील ने कहा कि राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने को चुनौती देने वाली एक अन्य याचिका को दाखिल किया जा रहा है। शिवसेना ने मंगलवार को महाराष्ट्र के राज्यपाल के फैसले को चुनौती देने के लिए शीर्ष अदालत का रुख किया था, लेकिन मामले में तत्काल सुनवाई नहीं कर पाई।
शिवसेना ने सदन में बहुमत साबित करने का मौका नहीं देने के राज्यपाल के सोमवार के फैसले को को असंवैधानिक, अनुचित और दुर्भावनापूर्ण करार दिया था।
शिवसेना का दावा- राज्यपाल का निर्णय संविघान का उल्लंघन
इससे पहले अधिवक्ता सुनील फर्नांडिस के जरिये दायर याचिका में कहा गया था, “राज्यपाल ने महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए बहुमत साबित करने के वास्ते तीन दिन का भी समय देने से इनकार कर दिया।” शिवसेना ने तर्क दिया था कि राज्यपाल का निर्णय संविधान के अनुच्छेद 14 और अनुच्छेद 21 का उल्लंघन है। “यह स्पष्ट तौर पर शक्ति का मनमाना, अतार्किक एवं दुर्भावनापूर्ण प्रयोग है ताकि शिवसेना को सदन में बहुमत साबित करने का निष्पक्ष एवं तर्कसंगत अवसर नहीं मिल सके।”
मिला था सरकार बनाने का मौका
288 सदस्यीय महाराष्ट्र विधानसभा में भाजपा 105 सीटों के साथ सबसे बड़े दल के तौर पर उभरी लेकिन 145 के बहुमत के आंकड़े से दूर रह गई। भाजपा के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ने वाली शिवसेना को 56 सीटें मिलीं। वहीं राकांपा ने 54 और कांग्रेस ने 44 सीटों पर जीत दर्ज की। राज्यपाल ने शिवसेना को भी सरकार बनाने के लिए न्योता दिया था लेकिन निर्धारित समय पर वह समर्थन पत्र प्रस्तुत नहीं कर सकी।